निजी अस्पताल ने आयुष्मान कार्ड से ब्लैक फंगस के इलाज से किया इंकार
डीएवी इंटर कॉलेज में लैब असिस्टेंट शैलेंद्र मौर्य ने बताया कि बीती 22 अप्रैल को उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी की कोरोना जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उस समय उन्हें भर्ती करने के लिए किसी भी अस्पताल में बेड नहीं मिला। ऐसे में घर पर ही इलाज किया गया। लेकिन, कोरोना से उबरते ही उन्हें ब्लैक फंगस ने जकड़ लिया। इसके उपचार के लिए उन्हें मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
ब्लैक फंगस भी उत्तराखंड में पैर पसारने लगा है। कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद मरीज इसकी चपेट में आ रहे हैं। उस पर निजी अस्पताल ब्लैक फंगस के मरीजों को आयुष्मान कार्ड से इलाज देने में आनाकानी कर रहे हैं। इसी बीमारी से पीड़ित एक महिला का दून के श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में आयुष्मान के तहत इलाज करने से इंकार कर दिया गया। स्वजनों ने उपचार के लिए रुपये जमा किए, तब मरीज का ऑपरेशन हुआ।
शैलेंद्र के पास आयुष्मान कार्ड है, मगर अस्पताल प्रशासन ने उस पर इलाज देने से इंकार कर दिया। ऐसे में शैलेंद्र ने बुधवार को किसी तरह कुछ धन एकत्र कर अस्पताल में जमा किया। इसके बाद उनकी पत्नी की आंख का ऑपरेशन हो पाया। शैलेंद्र ने बताया कि इस बीमारी की दवा भी नहीं मिल रही है। किसी तरह उन्होंने इंजेक्शन आदि की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल होने वाला लैवीकेयर-50 इंजेक्शन बामुश्किल ऋषिकेश एम्स के बाहर स्थित एक मेडिकल स्टोर में मिला। उनका यह भी कहना है कि कई केमिस्ट मनमाने दाम पर ब्लैक फंगस की दवा बेच रहे हैं।
अस्पताल के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने बताया कि ब्लैक फंगस आयुष्मान योजना में शामिल है या नहीं, इस बारे में अभी स्पष्ट आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। अगर यह बीमारी आयुष्मान योजना में शामिल है तो निश्चित रूप से मरीजों को इसका लाभ दिया जाएगा।