कोरोना काल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शाबाशी
विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही विकास योजना को लेकर पीएम की यह शाबाशी रावत के लिए एक खास सियासी संकेत के तौर पर देखी जा रही है। कोविड-19 महामारी के दौर में मुख्यमंत्री का सियासी और प्रशासनिक कौशल कसौटी पर है। उनके फैसलों को लेकर केवल विपक्ष ही विरोध नहीं कर रहा। उनकी पार्टी के कुछ विधायक व नेता भी दबी जुबान में विरोध कर रहे हैं।
कोरोना काल में तमाम सियासी झंझावतों के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मंगलवार को एक साथ दो मोर्चों पर राहत मिली। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी पीठ थपथपाई तो दूसरी तरफ रेखा आर्य षणमुगम विवाद में सीएम कारगर हस्तक्षेप कर पाए।
वेतन कटौती, विधायक विकास निधि और टेंडर प्रक्रिया को लेकर पार्टी के कुछ विधायकों ने दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर यह संकेत देने का प्रयास किया कि वे खुश नहीं हैं। हालांकि उन्होंने खुलकर विरोध नहीं किया। मगर इस बहाने विपक्ष को यह कहने का मौका मिला कि भाजपा के ही लोग सरकार से खुश नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने विरोधियों को अवाक कर दिया
मंगलवार को प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री और उनकी टीम के प्रशासनिक कौशल की सराहना करके विरोधियों को अवाक कर दिया। सीएम के लिए पीएम की तारीफ बूस्टर से कम नहीं है। पीएम ने कहा कि हर घर नल योजना में त्रिवेंद्र सरकार हमारी योजना से एक कदम आगे है।
एक रुपये में कनेक्शन देने की योजना की तारीफ करके पीएम ने एक तरह से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के नेतृत्व कौशल पर मुहर भी लगा दी। विधानसभा चुनाव की तैयारी की ओर कदम बढ़ा चुके मुख्यमंत्री की यह तारीफ सियासी संकेत भी दे गई।
मुख्यमंत्री को दूसरे मोर्चे पर भी राहत मिली जब राज्यमंत्री रेखा आर्य उनसे मिलने पहुंची। दरअसल, राज्यमंत्री और आईएएस विवाद के कारण भी सरकार को असहज होना पड़ा है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद इस विवाद के भी सुलझ जाने के आसार हैं ।