उत्तराखंड में बड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मेगा इंडस्ट्री नीति में संशोधन की तैयारी
प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए मेगा इंडस्ट्री नीति लागू है। इसके तहत 200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने वाले उद्योगों को सरकार छूट देती है। इसमें सिडकुल क्षेत्र के भीतर भूमि आवंटन पर 25 से 30 प्रतिशत की छूट दी जाती है। बिजली व पानी के बिल में भी छूट दिए जाने का व्यवस्था है। यह छूट पांच साल तक दी जाती है। मकसद यह है कि इन पांच सालों में ये उद्योग खुद को मजबूती से स्थापित कर सकें। इस योजना में एक व्यवस्था यह भी है कि जो उद्योग अपना विस्तार करना चाहते हैं तो उन्हें न्यूनतम 75 करोड़ का निवेश करना होगा। इस सीमा तक निवेश होने के बाद वे उद्योग का विस्तार कर पाएंगे। इस प्रविधान के चलते प्रदेश में उद्योगों को विस्तार में अड़चन आ रही है।
प्रदेश सरकार बड़े उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अब मेगा इंडस्ट्री नीति में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत उद्योग का विस्तार करने के लिए निवेश की सीमा को 75 करोड़ रुपये कम करने की तैयारी है। साथ ही कोरोना के असर को देखते हुए इन उद्योगों में मार्च से उत्पादन शुरू करने की अनिवार्यता में सीमा में छह माह की छूट भी देने की तैयारी की जा रही है।
ऐसे में औद्योगिक संगठनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने यह मसला उठाया था। इस पर उन्होंने उद्योग विभाग को दूसरे राज्यों की नीति का अध्ययन करने को कहा। इसमें यह बात सामने आई कि अन्य राज्यों में उद्योग यदि शुरुआती दौर में निवेश की गई राशि का 25 फीसद फिर से निवेश करते हैं तो उन्हें विस्तार के लिए अनुमति मिल जाती है। उत्तराखंड में भी सरकार ने यही व्यवस्था अपनाने का निर्णय लिया है। मेगा इंडस्ट्री नीति में शुरुआती निवेश 200 करोड़ का है। इसका 25 फीसद यानी 50 करोड़ का निवेश कर बड़े उद्योगों को विस्तार देने की व्यवस्था की जा रही है।
इस नीति में दूसरी व्यवस्था कोरोना काल में मद्देनजर की जा रही है। दरअसल, इन उद्योगों को छूट देने के लिए हर वर्ष मार्च से अपना उत्पादन शुरू करना होता है। वर्ष भर तय उत्पादन पर ही ये सब्सिडी के पात्र होते हैं। बीते वर्ष और इस वर्ष कोरोना के कारण उद्योगों का काम प्रभावित हुआ है। ऐसे में इस बार उद्योगों के लिए उत्पादन शुरू करने का समय मार्च के बजाय सितंबर से तय किए जाने की व्यवस्था की जा रही है। नीति में इन दो बिंदुओं में संशोधन का प्रस्ताव आगामी कैबिनेट बैठक में रखने की उम्मीद जताई जा रही है।