नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में रविवार को सभी को संतुलित पोषक आहार मुहैया कराने और जनभागीदारी से कुपोषण का मुकाबला करने पर जोर दिया। उन्होंने पोषण आहार के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए सितंबर माह को पोषण अभियान के रूप में मनाने का ऐलान करते हुए लोगों से इससे जुड़ने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि साथियों, कई छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हम कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं। आज, जागरूकता के आभाव में, कुपोषण से ग़रीब भी, और संपन्न भी प्रभावित हैं। पूरे देश में सितंबर महीना ‘पोषण अभियान’ के रूप में मनाया जाएगा। आप जरूर इससे जुड़िये, जानकारी लीजिये, कुछ नया जोड़ियें। आप भी योगदान दीजिये। अगर आप एकाध व्यक्ति को भी कुपोषण से बाहर लाते हैं मतलब हम देश को कुपोषण से बाहर लाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संस्कृत सुभाषित एक प्रकार से ज्ञान के रत्न होते हैं।इसमें लिखा है कि पृथ्वी में जल, अन्न और सुभाषित ये तीन रत्न हैं। मूर्ख लोग पत्थर को रत्न कहते हैं। हमारी संस्कृति में अन्न की बहुत अधिक महिमा रही है। यहाँ तक कि हमने अन्न के ज्ञान को भी विज्ञान में बदल दिया है। संतुलित और पोषक भोजन हम सभी के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए पोषक आहार जरूरी है, क्योंकि, ये हमारे समाज के भविष्य की नींव है। ‘पोषण अभियान’ के अंतर्गत पूरे देशभर में आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से पोषण को जन-आन्दोलन बनाया जा रहा है। लोग नए और दिलचस्प तरीकों से कुपोषण से लड़ाई लड़ रहे हैं।
मोदी ने कहा कि कभी मेरे ध्यान में एक बात लाई गई थी। नासिक में ‘मुट्ठी भर धान्य’ एक बड़ा आन्दोलन हो गया है। इसमें फसल कटाई के दिनों में आंगनवाड़ी सेविकाएं लोगों से एक मुट्ठी अनाज एकत्र करती हैं और इस अनाज से बच्चों और महिलाओं के लिए गर्म भोजन बनाया जाता है। इसमें दान करने वाला व्यक्ति एक प्रकार से जागरुक नागरिक समाज सेवक बन जाता है। इसके बाद वो इस ध्येय के लिए खुद भी समर्पित हो जाता है। उस आन्दोलन का वो एक सिपाही बन जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी ने अन्न प्राशन संस्कार के बारे में सुना है। ये संस्कार तब किया जाता है जब बच्चे को पहली बार ठोस आहार खिलाना शुरू करते हैं। गुजरात ने 2010 में सोचा कि क्यूँ न ‘अन्न प्राशन संस्कार’ के अवसर पर बच्चों को पूरक आहार दिया जाये ताकि लोगों को, इसके बारे में जागरुक किया जा सके। यह एक बहुत ही शानदार पहल है इसे पूरे देश में अपनाया जा सकता है।
मोदी ने कहा कि ‘कई राज्यों में लोग तिथि भोजन अभियान चलाते हैं। इसके तहत जन्मदिन जैसे शुभ अवसर पर लोग खाना बनाकर आंगनवाड़ी, स्कूलों के बच्चों को खुद खाना परोसते हैं। अपने आनंद को भी बाँटते हैं और आनंद में इज़ाफा करते हैं। सेवाभाव और आनंदभाव का अद्भुत मिलन नज़र आता है।’ उन्होंने कहा कि ऐसी कई सारी छोटी-छोटी चीजें हैं जिससे हमारा देश कुपोषण के खिलाफ़ एक प्रभावी लड़ाई लड़ सकते हैं।