पीएम मोदी सोमवार को कर सकते हैं लॉकडाउन-2 की घोषणा थोड़ी रियायत के साथ

मंगलवार 14 अप्रैल को लॉकडाउन फेस-1 खत्म हो रहा है। केंद्रीय सचिवालय सूत्रों का कहना है कि इसके ठीक पहले 13 अप्रैल को प्रधानमंत्री लॉकडाउन-2 की घोषणा करते हुए जनता को फिर से आत्मअनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे।
सूत्र बताते हैं कि कपड़ा निर्माता कंपनी रेमंड भी कोविड-19 से जंग लड़ने के लिए कुछ संसाधन बना रही है। इसी तरह से टेक्सटाइल क्षेत्र से जुड़ी कुछ कंपनियां मास्क, बेडशीट समेत अन्य जरूरी सामान की आपूर्ति में आगे आई हैं। वेंटिलेटर बनाने के लिए आगे आई कुछ कंपनियों को कच्चे माल के क्षेत्र में दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है।

13 अप्रैल सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता को संबोधित करके लॉकडाउन-2 की घोषणा कर सकते हैं। लॉकडाउन-2 में कृषि, चिकित्सा, शिक्षा, मत्स्य पालन, कपड़ा समेत कुछ क्षेत्रों में छूट दिए जाने के आसार हैं, लेकिन इसकी पहली शर्त सोशल डिस्टेसिंग और साफ सफाई का कड़ाई से पालन करना होगा। प्रधानमंत्री इस क्षेत्र में काम पर बाहर निकलने वाले लोगों को मुंह पर साफ तौलिया, रूमाल बांधने या मास्क लगाने की सलाह दे सकते हैं।

बीडीएल, बीईएल जैसी पीएसयू भी कोविड-19 से मुकाबले में सरकार का साथ दे रही हैं। इसलिए केंद्र सरकार को इन्हें कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन से छूट देने का निर्णय लेना पड़ सकता है।

कई राज्यों में मत्स्य पालन जीविका से जुड़ा और बहुत अहम हिस्सा है। लॉकडाउन से इस पर बुरा असर पड़ा है। दक्षिण भारत, खासकर केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, आंध्र प्रदेश के लिए इसकी खासी उपयोगिता है। एक्वा क्षेत्र में भी लोगों को पीने का साफ पानी मिलना बड़ी समस्या बन रहा है। ऐसे सभी क्षेत्रों को सरकार लॉकडाउन फेस-2 में शर्तों के साथ राहत दे सकती है।

रबी की फसल को बाजार में आना है, खरीफ की फसल की बुआई होनी है। जुलाई, अगस्त तक का महीना खेती, खलिहानी के लिए सुनहरे काल के रूप में देखा जाता है। गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत तमाम राज्यों में गेहूं की कटाई, मड़ाई, अनाज को मंडी में लाने का समय है। दलहन, तिलहन की भी खरीद-फरोख्त होनी है।

केंद्र सरकार और राज्यों के स्तर पर महसूस किया जा रहा है कि यदि इसमें किसी तरह का गतिरोध आया तो देश की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था बैठ जाएगी। खेतिहर मजदूरों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी और इतने बड़े बोझ को सरकारें अपने बूते नहीं संभाल सकती। इसी तरह से खरीफ की बुआई के लिए किसानों को कृषि यंत्र, बीज, खाद समेत काफी कुछ चाहिए। लिहाजा इसे जुड़े बाजार, कल-कारखाने को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति देनी होगी।

प्रधानमंत्री अपने संबोधन में जनता को उसकी जिम्मेदारी बताते हुए लॉकडाउन का ईमानदारी से पालन करने का अनुरोध करेंगे। सूत्र बताते हैं कि लॉकडाउन-2 में सरकार की भूमिका मॉनिटरिंग करने, लॉकडाउन का पालन करने, मास्क, गमछा, तौलिया मुंह पर बांधकर ही निकलने को सुनिश्चित कराने पर रहेगी। ताकि कोविड-19 के संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके।

कर्नाटक, केरल, यूपी, पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत तमाम राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों का मानना है कि पूरे देश में कोविड-19 के हॉटस्पॉट के साथ विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत है। ऐसे इलाकों में सोसायटियों आदि में जाकर बड़े पैमाने पर लोगों की स्क्रीनिंग कराने, संक्रमण के संदेहास्पद लोगों को घरेलू क्वारंटीन या क्वारंटीन केयर सेंटर भेजने का कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए ऐसे क्षेत्रों में आवाजाही को पूरी तरह से बंद करके यहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जाने पर जोर दिया जाएगा।

जिन जिलों में एक भी संक्रमित नहीं मिला है, उन्हें भी इससे महफूज रखने की जरूरत है। इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की रहेगी। इसलिए राज्यों से लॉकडाउन फेस-2 का इस तरह से मॉडल तैयार करने को कहा जा रहा है कि उनके यहां संक्रमण और न फैले। जहां संक्रमण नहीं है, वहां लोगों को परेशानी न हो और जहां संक्रमण का फैलाव हुआ है, उसे नियंत्रित किया जा सके। इसमें किसी तरह की कोताही अच्छी नहीं होगी।

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