25 से उत्तराखंड सचिवालय में पेपरलैस होगा कामकाज, फरियादियों को चक्कर काटने से मिलेगी मुक्ति
त्रिवेंद्र सरकार पिछले दो साल से डिजिटल कामकाज को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। बीते साल 25 दिसंबर को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में मनाते हुए सरकार ने सचिवालय के चुनिंदा विभागों में ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर लागू किया था। अब, ठीक एक साल बाद ई-ऑफिस सभी अनुभागों में लागू होने जा रहा है। कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का काम पूरा हो गया है। बैकअप सहायता देने के लिए आईटी विभाग ने एपीजे अब्दुल कलाम भवन में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी बना दिया है।
उत्तराखंड सचिवालय के सभी अनुभागों में 25 दिसंबर से ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर लागू होने जा रहा है। इसके बाद यहां नई फाइलें डिजिटल माध्यम से ही तैयार होंगी। इस तरह सचिवालय पेपरलैस कामकाज के अहम पड़ाव को छू लेगा।
इस सॉफ्टवेयर के जरिये ऑफिस से बाहर रहकर भी काम करने की सुविधा होगी। कोरोना काल में उत्तराखंड के कई विभाग इसे सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं। इस बारे में सचिव (आईटी) आरके सुधांशु ने बताया कि, ई-ऑफिस के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
कामकाज पेपरलैस करने की कवायद पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अहम पड़ाव है। कैबिनेट के सामने रखे गए आईटी विभाग के प्रस्तुतिकरण के अनुसार, 12 हजार पन्नों के लिए एक बड़ा पेड़ काटना पड़ता है। इसके साथ ही पेपर फाइल को अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के लिए औसतन 40 लोगों से होकर गुजरना पड़ता है। मगर, अब डिजिटल माध्यम से इस प्रक्रिया में भी कटौती होगी।
पुरानी फाइलों की स्कैनिंग के लिए एजेंसी का चयन जल्द होगा ई-ऑफिस के दूसरे चरण में पुरानी फाइलों को स्कैन किया जाना है। इसके लिए आईटी विभाग ने एजेंसी चयन की तैयारी शुरू कर दी है। स्कैनिंग के बाद फाइल हमेशा के लिए डिजिटली सुरक्षित हो जाएगी। अभी तक फाइलों को गार्ड रूम में सुरक्षित रखा जाता है। इसके बाद भी इन फाइलों के गलने-सड़ने की समस्या आती है। दुर्घटना या साजिश के तहत नष्ट होने की भी आशंका रहती है।