इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार का एक साल पूरा हो चुका है। पाक वित्त मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि 30 जून वित्त वर्ष की समाप्ति पर राज कोषीय घाटा 34 खरब 44 अरब रुपए पहुंच गया। पिछले 39 साल में अर्थव्यवस्था का यह सबसे बुरा दौर है। पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्तीय घाटा 1979-80 के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा है। राजकोषीय घाटा सरकार की आय और खर्च के बीच का अंतर होता है।जून में इमरान सरकार ने वित्तीय घाटे को जीडीपी के 7.1% पर लाने की संभावना जताई थी। जबकि, साल की शुरुआत में लक्ष्य 4.9% था।
इमरान सरकार अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने के वादे के साथ सत्ता में आई थी। जियो न्यूज के मुताबिक, सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए पिछले महीने पेट्रोल के दाम 5.15 रुपए और डीजल के 5.65 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए थे। इसके बाद पेट्रोल की कीमत 117.83 रुपए प्रति लीटर, जबकि डीजल की 132.4 रुपए प्रति लीटर हो गई।
इस वर्ष 30 जून को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च और राजस्व मामलों समेत सभी प्रमुख वित्तीय सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई। आंकड़ों के मुताबिक, खर्च घटाने के सभी प्रयास विफल साबित हुए और वित्तीय वर्ष की पहले तिमाही में ही राजस्व वसूली में भारी गिरावट आ गई। पाकिस्तान के पूर्व आर्थिक सलाहकार डॉ. अशफाक हसन खान ने कहा कि इतना अधिक राजकोषीय घाटा कभी नहीं देखा।
पाकिस्तान अर्थव्यवस्था की स्थिति सुधारने में लगा हुआ है। चीन और कतर समेत कई देशों ने पाक को बेलआउट पैकेज दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मई में पाक को 6 अरब डॉलर (43 हजार करोड़ रुपए) दिए थे। इस वित्त वर्ष में अब तक पाकिस्तान को 9.1 अरब डॉलर (63हजार करोड़ रुपए) की मदद मिल चुकी है।