देहरादून। स्टिंग मामले में सीबीआई की कार्रवाई का सामना कर रहे पूर्व सीएम हरीश रावत के दिल में रंज है। अपने और भाजपा के स्टिंग की तुलना करते हुए वह बराबर तंज कस रहे हैं। अब सियासत के खेल में वह भाजपा को लपेटने के लिए पैंतरा चल रहे हैं।
सोशल मीडिया पर डाली अपनी पोस्ट में रावत ने बताया है कि वह 20 या 21 सितंबर को नशे के खिलाफ पदयात्रा करना चाह रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया है कि अंतिम तौर पर तारीख तय कर वह जल्द बताएंगे। हाईकोर्ट में स्टिंग प्रकरण पर सुनवाई 20 सितंबर को तय है और रावत पर कार्रवाई के बादल भी मंडरा रहे हैं।
भाजपा के नेता मेरे तथाकथित स्टिंग के मामले में कहते हैं कि कर्मों का फल है। ये जो एनआरएचएम घोटाला है, जिसमें सीबीआई सात अधिकारियों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन लॉज करना चाहती है और राज्य सरकार उनको बचाने का प्रयास कर रही है, अनुमति नहीं दे रही है, सीबीआई को उनके खिलाफ प्रॉसिक्यूशन लॉज करने के लिए। ये किसके कर्मों का फल है।
जो व्यक्ति उस समय एनआरएचएम का कर्ता धर्ता था, या उससे बड़ा कर्ता धर्ता स्वास्थ्य मंत्री था, आखिर किसके कर्मों का फल है, ये भी तो उत्तराखंड की जनता को जानने का हक है। और एक बात को साफ है किसी अपने खास, अपनी पार्टी के मूर्धन्य व्यक्ति को बचाने के लिए सीबीआई को अनुमति नहीं दी जा रही है। हरीश रावत के मामले में तो सीबीआई देवदूत है और जब भाजपा कार्यकाल में हुए एनआरएचएम घोटाले के अंदर वो मुकदमा चलाना चाहते हैं, तो वो जो है राक्षस सेना के सिपाही हो गए हैं।
आपको बताता चलूं कि उत्तराखंड का यह सबसे बड़ा दवा घोटाला हे। सात सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा का दवा घोटाला है, जिसमें करोड़ों रुपये की आउटडेटेट दवाईयां खरीद कर उत्तराखंड के सारे स्टोर्स को डंप कर दिया गया है और फिर आगे मैं स्टर्जिया और आमबाग पर भी बात करुंगा।