ऑनलाइन टैक्सियों को अब उत्तराखंड में मिलेगा लाइसेंस-पहाड़ की सड़कों पर चलेंगी छोटी बसें
बैठक में ऑनलाइन डिमांड ठेका गाड़ियों के लिए परिवहन नियमावली को लागू कर दिया। इसके लागू होते ही ऑनलाइन टैक्सी सर्विस के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वर्तमान में ओला-उबर समेत कुछ एग्रीग्रेटर कंपनियों ऑनलाइन डिमांड पर कैब सुविधा मुहैया करा रही हैं। एसटीए सचिव सनत कुमार सिंह ने बताया कि ऑनलाइन मांग पर कैब सुविधा देने वाली कंपनियों के लिए एग्रीगेटर पॉलिसी बनाई गई है।
ऑनलाइन बुकिंग पर टैक्सी-मैक्सी-ऑटो सुविधाएं देने वाली कंपनियों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) ने इजाजत दे दी है। यात्री और माल भाड़ा वाहनों का किराया संशोधन का प्रस्ताव फिलहाल टल गया है। एसटीए अध्यक्ष दीपेंद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में 12 विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया गया।
इसके तहत अब से हर ऑपरेटर को लाइसेंस लेना होगा। अधिकारियों को लाइसेंस प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देते हुए अगली बैठक के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा जा रहा है।
राज्य के पर्वतीय जिलों और चारधाम रूट पर चार टायर वाली मिनी बसों (टैंपो ट्रेवलर्स) के संचालन का रास्ता साफ हो गया। राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) ने 16 व अधिक सीट वाली मिनी बसों के साथ जुड़ी छह टायर की अनिवार्यता को खत्म करने को मंजूरी दे दी।
एसटीए की बैठक में यात्री और माल भाड़ा बढ़ाने पर फैसला टल गया है। इस फैसले से किराया बढ़ोतरी पर फैसला कम से कम दो महीने तक टल गया है। यात्री और माल भाड़ा बढ़ाने लिए नई उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है।
ऑनलाइन मांग पर सेवा शुरू करने के लाइसेंस के लिए कंपनी को 10 लाख रुपये बैंक गारंटी देनी होगी। लाइसेंस की अवधि पांच साल होगी। कंपनी के स्टाफ को यात्रा के दौरान यात्री की सुरक्षा और सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। अभद्रता की शिकायत पर कार्रवाई की जा सकती है। कंपनी के लिए कॉल सेंटर भी बनाना होगा।