उत्तराखंड के हर ब्लाक की एक ग्राम पंचायत को मधु ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा
किसानों की आय दोगुना करने के मकसद से इस योजना को शुरू करने का निर्णय लिया गया है। चयनित ग्राम पंचायत में एक लाख किलो शहद उत्पादन का लक्ष्य रहेगा। जिससे पंचायत में ही शहद की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग यूनिट लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि मौनपालकों को मधुमक्खियों की एपिस सिराना इंडिका व इटेलियन एपिस मैलीफेरा जैसी प्रजाति उपलब्ध कराई जाएगी ताकि अधिक से अधिक शहद प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि इस योजना को राज्य स्थापना दिवस के दिन शुरू किया जाएगा।
उत्तराखंड के हर ब्लाक की एक ग्राम पंचायत को मधु ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। सरकारी प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि फिलहाल राज्य के हर ब्लाक की एक ग्राम पंचायत में यह योजना शुरू होगी। लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।
कौशिक ने बताया कि मौनपालन की एक इकाई पर चार हजार रुपये का खर्चा आएगा। जबकि प्रत्येक ग्राम में 500 मौन पालन के संयत्र लगाए जाएंगे। इस तरह एक ग्राम पंचायत में लगने वाले 500 संयत्रों के आधार पर राज्य के सभी जिलों में बनने वाले मधु ग्राम पर कुल 260 लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसमें से चालीस प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी। जबकि चालीस प्रतिशत राशि राज्य सरकार खर्च करेगी। जबकि 20 प्रतिशत राशि मौनपालक की ओर से लगाई जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इस योजना के तहत 30 लाख रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था करेगी जिससे प्रशिक्षण और ट्रांसपोर्टेशन जैसे कार्य किए जाएंगे।
उत्तराखंड में उत्पादित शहद आर्गेनिक है। बाजार में इस शहद की काफी मांग है। सरकार का मानना है कि प्रदेश में शहद उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं। मौनपालन व्यवसाय लोगों की आजीविका का बड़ा जरिया बन सकता है। वहीं, मधुमक्खियों से परागण प्रक्रिया से फलों व सब्जियों की उत्पादकता बढ़ेगी।