देहरादून। एससी-एसटी छात्रों को बांटने के लिए आईटी विभाग ने खराब लैपटॉप मंगाए थे। इस खराबी का पता तो विभाग को तीन साल पहले ही लग गया था लेकिन इन्हें गोदाम में दबाए रखा गया। छात्र लैपटॉप मिलने का इंतजार ही करते रहे। अब पता चला कि विभाग ने इन्हें कंपनी को वापस कर दिया है। इसके लिए अब दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एससी-एसटी वर्ग के मेडिकल व इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं को तकनीकी सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से निशुल्क लैपटॉप वितरण योजना शुरू की थी। दिसंबर 2016 में योजना के शुभारंभ पर तीन जिलों से आए नौ छात्र-छात्राओं को लैपटॉप वितरित किए गए थे। वहीं जब छात्रों ने उनका प्रयोग किया तो खुलासा हुआ कि वह लैपटॉप खराब हैं। ऐसे में वह जनजाति विभाग में करीब दो साल तक वह लैपटॉप धूल फांकते रहे।
अब जब शासन ने प्रकरण की जानकारी मांगी तो अपना पल्ला झाड़ते हुए अधिकारियों ने जवाब दिया कि लैपटॉप वापस कर दिए गए हैं। कंपनी के पास से वापस आए पांच करोड़ रुपये बहुउद्देशीय विकास निगम के पास हैं। कांग्रेस सरकार ने लैपटॉप खरीदने का जिम्मा आईटी सेल को दिया था। इसके लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से चार करोड़ और जनजाति विभाग की ओर से एक करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक दोबारा टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। उनका कहना है कि कॉलेजों में एडमिशन चल रहे हैं। सभी कॉलेजों से छात्र-छात्राओं की सूची मांगी गई है। सूची आने के बाद टेंडर निकाला जाएगा।
कार्यालय अभिलेखों के अनुसार 2015-16 में मेडिकल व इंजीनियरिंग में अध्ययनरत एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को निशुल्क लैपटॉप वितरण योजना के तहत विभाग को लैपटॉप प्राप्त हुए थे, जिनमें से नौ वितरित कर दिए। शेष खराब होने के कारण उच्च अधिकारियों के निर्देश पर संबंधित फर्म को वापस कर दिए गए।
– जीत सिंह रावत, जिला समाज कल्याण अधिकारी