देहरादून। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड या सीबीएसई से मान्यताप्राप्त निजी विद्यालयों ने यदि एनसीईआरटी की किताबों की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने का दबाव बनाया तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने शिक्षाधिकारियों की टीमें गठित कर उन्हें निजी विद्यालयों में भेजने के निर्देश दिए हैं। ये टीमें यह भी सुनिश्चित करेंगी कि निजी विद्यालयों में हर हाल में एनसीईआरटी की किताबें लागू हों। शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों से भी निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लागू किए जाने का विरोध करने को कहा है।
प्रदेश में निजी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं और अभिभावकों को नए शैक्षिक सत्र 2018-19 से महंगी किताबों से राहत रहेगी। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बीते रोज एनसीईआरटी से प्रकाशित किताबों की सूची जारी की थी। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि आइसीएसई बोर्ड को छोड़कर प्रदेश के सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड से संबद्ध निजी विद्यालयों में कक्षा एक से 12वीं तक एनसीईआरटी की किताबें अनिवार्य की गई हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के बाजारीकरण को रोकने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की संकल्पना सबको समान शिक्षा की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबों को लागू करने में कोताही बरतने नहीं दी जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की टीमें गठित कर विद्यालयों में भेजी जा रही हैं।
मंत्री ने कहा कि जिन विद्यालयों में एनसीईआरटी के अतिरिक्त अन्य किताबों को लागू करने की शिकायतें मिलेंगी, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी विषय में निजी प्रकाशकों की संदर्भ पुस्तकें लागू करना नितांत जरूरी हुआ तो उन पुस्तकों के मूल्य का निर्धारण एनसीईआरटी की पुस्तकों की दरों पर ही किया जाएगा। मनमानी दरों पर किसी भी पुस्तक को खरीदने का दबाव बनाने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि महंगी पाठ्य पुस्तकों के नाम पर प्रदेश की जनता पर आर्थिक बोझ डालने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी। प्रदेश की भाजपा सरकार शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने को कृत संकल्पित है।
शिक्षा मंत्री ने अभिभावकों से भी निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी के अलावा अन्य किताबें लागू किए जाने का विरोध करने की अपील की। उन्होंने उक्त संबंध में शिकायत व सुझाव वाट्स एप नंबर-8395889301 अथवा arvindpandeyoffice@gmail.com पर ई-मेल करने को कहा है। शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाएगी।