त्योहारों में एमडीडीए के फ्लैट पर मिलेगी छूट
गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन की अध्यक्षता में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की 100वीं बोर्ड बैठक सोमवार को एमडीडीए सभागार में हुई। बैठक के लिए 40 बिंदुओं का एजेंडा तैयार किया गया था। बैठक लंबी खींचने के चलते सभी बिंदुओं पर चर्चा नहीं हो पाई। एमडीडीए सचिव गिरीश गुणवंत ने बताया कि एचआईजी और एमआईजी फ्लैट पर छूट की योजना पर बोर्ड में सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि एमडीडीए के आईएसबीटी स्थित एचआईजी और ट्रांसपोर्ट नगर स्थित एमआईजी आवासीय योजना में यह छूट दी जानी है।
नवरात्र और दिवाली पर निजी बिल्डरों की तरह पर इस बार एमडीडीए भी अपने एचआईजी (उच्च आय वर्ग) और एमआईजी (मध्यम आय वर्ग) फ्लैट पर छूट की योजना लाएगा। ऐसे में त्योहारी सीजन में फ्लैट की कीमतों में कमी आ सकती है। सोमवार को एमडीडीए की बोर्ड बैठक में इस फैसला लिया गया। हालांकि, छूट कितनी दी जानी हैं, इस पर शासन से वित्त विभाग मंजूरी देगा। यह प्रक्रिया नवरात्र से पहले पूरी की जाएगी।
योजना की लांचिंग की बाद भी दोनों स्थानों पर फ्लैट खाली पड़े हैं। बैठक में कई पेट्रोल पंप और होटल मंजूरी के प्रस्ताव भी आए। इनमें अलग-अलग अड़चन होने के चलते शासन को स्वीकृत के लिए भेजा जाएगा। बोर्ड बैठक में एमडीडीए उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान, डीएम डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक टी लेप्चा, एमडीडीए सचिव एसएल सेमवाल, मुख्य लेखाधिकारी एलएस बोनाल शामिल रहे।
आयुष्मान योजना के दायरे में आए कर्मचारी
बोर्ड बैठक में एमडीडीए कर्मियों को भी अटल आयुष्मान योजना के दायरें में लान जाने की सहमति दी गई। इससे एमडीडीए कर्मचारी भी इस योजना का लाभ ले सकेंगे। वहीं बोर्ड बैठक में भू-उपविभाजन शुल्क प्रस्ताव भी आया। इसे शासन को भेजा रहा है।
लॉकडाउन में किश्त न दे पाने वालों को राहत
एमडीडीए की आवासीय योजना के तहत फ्लैट लेकर लॉकडाउन में किश्त नहीं चुका पाए लोगों के लिए छूट का प्रस्ताव भी बोर्ड बैठक पास हुआ। इसके तहत लोगों को लॉकडाउन के शुरुआत के 75 दिन के ब्याज में छूट मिलेगी। इसका लाभ उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो किश्त नहीं दे पाए।
लच्छीवाला स्थित नेचर पार्क निर्माण के लिए वन विभाग को बिना ब्याज लोन की तरह साढ़े पांच करोड़ रुपये दिए जाएंगे। नेचर पार्क शुरू होने पर उससे होनी वाली आय की राशि से यह रकम एमडीडीए को लौटाई जाएगी।
बोर्ड बैठक में भू-सब डिवीजन (भू-उपविभाजन) शुल्क में राहत दी गई है। अभी तक मानचित्र स्वीकृति के बाद अगर मैप रिवाइज कराया जाता तो यह शुल्क हर बार जमा करना पड़ता था। अब एक बार जमा करने के बाद दोबारा निर्माण या बदलाव की अनुमति लेते वक्त यह शुल्क नहीं चुकाना होगा। बता दें कि ग्रामीण इलाकों में उप विभाजन शुल्क कई जगह रजिस्ट्री फीस से भी अधिक है। ऐसे में लोगों को इसमें राहत मिलेगी। बोर्ड बैठक में साडा के विलय के बाद परवादून और पछुवादून क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृति में आ रही समस्याओं पर भी चर्चा हुई।
बोर्ड बैठक में मास्टर प्लान में आ रही खामियों में सुधार की कोशिश की गई। नए मास्टर प्लान में कई स्थानों पर आवासीय क्षेत्रों को वन क्षेत्र दिखा दिया गया है। ऐसे इलाकों में लोग निर्माण नहीं करा पा रहे हैं। इसकी कई शिकायतें एमडीडीए में आईं। बोर्ड बैठक में तय किया गया कि, अगर कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर निर्माण के लिए वन विभाग से एनओसी ले आएगा तो उन्हें निर्माण करने दिया जाएगा।