उत्तराखंड में दोपहर दो बजे बंद होंगे बाजार
मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी आदेश के अनुसार पूरे प्रदेश में अब रात्रि कालीन कफर्यू भी शाम सात बजे से ही लागू हो जाएगा। पहले इसके लिए रात नौ बजे का समय तय था। कफर्यू सुबह पांच बजे तक जारी रहेगा। रविवार को पूरे प्रदेश में सम्पूर्ण कोविड कफर्यू रहेगा। कफ्र्यू के दौरान बाहर से आने जाने वाले यात्री, शादी समारोह वालों को पूर्व निर्धारित शर्त के अनुसार आने जाने की छूट रहेगी। इसी तरह दूसरे राज्यों के नागरिकों को अब उत्तराखंड में प्रवेश के लिए देहरादून स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पूर्व पंजीकरण करवाना होगा।
उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में अब प्रतिदिन दोपहर दो बजते ही, आवश्यक सेवाओं को छोड़कर शेष बाजार बंद हो जाएंगे। साथ ही रात्रि कालीन कफर्यू भी रात नौ बजे के बजाय सात बजे से ही लागू हो जाएगा। उक्त आदेश आज बुधवार से ही लागू होंगे। जैसे जैसे कोविड संक्रमण बेकाबू हो रहा है, सामान्य जन जीवन पर सख्ती भी बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में सरकार ने अब प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में रोजाना दोपहर दो बजे बाद आवश्यक सेवाओं के इतर अन्य बाजार बंद करने का निर्णय लिया है।
साथ ही 72 घंटे के भीतर की आरटी पीसीआर नैगेटिव रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी। दूसरे राज्यों से अपने घर लौट रहे राज्य के नागरिकों को भी इसी प्रकार पंजीकरण करवाना होगा, हालांकि उनके लिए कोविड जांच की अनिवार्यता नहीं रखी गई है, अलबत्ता उन्हें अपने घर पर ही क्वारंटीन होना पड़ेगा। इधर, सरकार ने जिला स्तरीय कार्मिकों के अवकाश सीधे निदेशालय स्तर से मंजूर किए जाने पर रोक लगाते हुए, इसके लिए जिलाधिकारी को अधिकृत कर दिया है। उक्त सभी आदेश आज यानि बुधवार 21 अप्रैल से ही लागू होंगे।
बता दें कि उत्तराखंड में मंगलवार को कोरोना के 3012 नए मरीज मिले और 27 संक्रमितों की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा एक लाख 29 हजार पहुंच गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 1919 पहुंच गया है। राज्य लगातार बढ़ते संक्रमण की वजह से एक्टिव मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। मंगलवार को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार राज्य के अस्पतालों में भर्ती और होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों का कुल आंकड़ा 21 हजार 14 पहुंच गया है। हालांकि मंगलवार को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 737 लोगों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया लेकिन तीन हजार से अधिक नए मरीज मिलने से अस्पतालों का दबाव जरा भी कम नहीं हो पाया।