उत्तराखंड में प्रवेश के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर जांच की अनिवार्यता

उत्तराखंड में प्रवेश के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर जांच की अनिवार्यता

11 मार्च को हुए शाही स्नान में करीब 35 लाख श्रद्धालु हरिद्वार आए थे। पर, अब एक अप्रैल से आरटीपीसीआर टेस्ट की बाध्यता लागू होने जा रही है। जिन 12 राज्यों के श्रद्धालुओं, पर्यटकों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उन्हीं में से कुंभ और चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग आते हैं। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के श्रद्धालुओं को उत्तराखंड में प्रवाह सबसे ज्यादा रहता है। न केवल कुंभ बल्कि चार धाम यात्रा और मानसून के दौरान कांवड़ यात्रा में भी इन राज्यों से लोग उत्तराखंड में उमड़ पड़ते हैं।

कोरेाना रेाकने के लिए राज्य सरकार द्वारा लागू किए सख्त प्रतिबंध का असर कुंभ मेल और चारधाम यात्रा पर असर पड़ सकता है। उत्तराखंड में प्रवेश के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर जांच की अनिवार्यता से श्रद्धालुओं की संख्या घटने की आशंका है। सरकार भी इस पहलू को लेकर चिंतित है, लेकिन जिस प्रकार कोरोना संक्रमण दोबारा सिर उठाने लगा है, उसमें सख्ती करना भी लाजिमी हो गया है। वर्तमान में कुंभ मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार आ रहे हैं।  सरकारी आंकड़ृों के अनुसार हर दिन एक लाख के करीब श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने आ रहे हैं।

कुंभ तो अभी चल ही रहा है। मई के महीने से चारधाम यात्रा भी शुरू होने जा रही है। मई के दूसरे पखवाड़े में केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख तय हो चुकी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरटीपीसीआर टेस्ट की अनिवार्यता की शर्त से लोग हिचकेंगे। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी भी है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति प्रवेश कर जाता है तो औरों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है।

दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तमिलनाड़ु, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा सीजन को पर्यटन और ट्रांसपोर्ट कारोबार के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के कारण यह सेक्टर करीब करीब चौपट ही हो गया था। अब इस सेक्टर में थोड़ी रौनक लौटी है। अब डर है कि कहीं कोरोना ने दोबारा सिर उठा लिया तो फिर से मुश्किलों का वही दौर शुरू हो सकता है।

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