इस बार उत्तराखंड का बजट करीब 55 हजार करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारी एवं पेंशनरों के वेतन और पेंशन पर ही खर्च होता है। मगर, बाकी हिस्सा हरिद्वार में जनवरी 2021 से प्रस्तावित महाकुंभ के हिस्से जा सकता है। शहरी विकास विभाग के अनुसार, महाकुंभ पर कुल 1,500 करोड़ खर्च का अनुमान है।
आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए उत्तराखंड के बजट में हरिद्वार महाकुंभ के लिए बड़े ऐलान संभव हैं। 2021 में होने जा रहे इस आयोजन के लिए करीब 1,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मौजूदा वित्त वर्ष में त्रिवेंद्र सरकार ने महाकुंभ के लिए ढाई करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसमें से अब तक 143 करोड़ जारी हो चुके हैं। शेष बजट का इंतजाम त्रिवेंद्र सरकार को आगामी वित्त वर्ष के बजट में ही करना है। इसके लिए शहरी विकास विभाग ने करीब 1,300 करोड़ का बजट वित्त विभाग से मांगा है। एक मुश्किल यह भी है कि केंद्र ने अब तक महाकुंभ के लिए बजट मंजूर नहीं किया है।
फिलहाल पूरा खर्च त्रिवेंद्र सरकार अपने खजाने से ही वहन कर रही है। हालांकि, सरकार को आने वाले दिनों में केंद्र से सहायता मिलने की उम्मीद है। सरकार सभी मंजूरियां केंद्र से बजट मिलने की आस में भी कर रही है। राज्य को केंद्र से कम से कम पांच सौ करोड़ मिलने की उम्मीद है।
विकास योजनाओं पर असर पड़ना तय
हरिद्वार महाकुंभ के चलते इस बार उत्तराखंड के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। उत्तराखंड की कई विकास योजनाओं पर इसका असर पड़ना तय है। सूत्रों ने बताया है कि इसके चलते दूसरे अभियानों के लिए बजट कम हो सकता है।