देहरादून। जयंती गांव में महिला की जलाकर हत्या करने और दुर्घटना को नाटकीय रंग देने के दोषी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरीश कुमार गोयल की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने उसे 20 हजार रुपये के अर्थदंड से भी दंडित किया है। सरकार की ओर से इस मामले की पैरवी करते हुए शासकीय अधिवक्ता केपी खन्ना ने अदालत से इस कृत्य के लिए फांसी की सजा देने की याचना की। फैसले के दौरान बड़ी संख्या पुलिसबल और अधिवक्ता मौजूद थे।
घटनाक्रम के अनुसार 26 अगस्त 2016 की रात्रि में जखोली तहसील के जयंती गांव की बिमला देवी की अज्ञात युवक द्वारा जलाकर हत्या की गई। उस समय वह घर पर अकेली थी और उसकी पुत्रवधू अपने मायके लिस्वाल्टा गई थी। सुबह जब गांव की एक महिला ने बिमला देवी के घर से धुंआ निकलते देखा तो उसने शोर मचाकर लोगों को इकट्टा किया। अंदर जाकर लोगों ने देखा तो बिमला देवी बिस्तर पर मृत अवस्था में पड़ी थी, जबकि उसके मुंह की तरफ से गैस सिलेण्डर पाइप खोलकर छोड़ा गया था। कुछ अनाज उसके ऊपर डाला गया था। घटना का कृत्य हत्यारे ने इस तरह तैयार किया ताकि मौत हत्या न होकर, आग के कारण हुई हो, ऐसा लगे। बिमला देवी की पुत्रवधू को जब घटना की जानकारी हुई तो उसने मयाली पुलिस चौकी में रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस को गवाहों से तहकीकात में पता चला कि मुकेश थपलियाल के गांव की एक महिला से अवैध संबंध थे। इस कारण महिला गर्भवती हो गई, जिससे उसको एक नवजात शिशु का जन्म हुआ, जिसे मुकेश थपलियाल ने मार डाला। बाद में इस घटना की जानकारी बिमला देवी को हुई तो उसने गांव के अन्य लोगों से इस बात का जिक्र किया, जिसके चलते वह बिमला देवी के परिवार से रंजिश रखने लगा। 26 अगस्त को रात में अकेला पाकर उसने बिमला देवी की जलाकर हत्या कर दी। गुमराह करने के लिए घटना को दुघर्टना का रूप दिया। पुलिस ने 5 सितम्बर 2016 को मुकेश थपलियाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जिला सत्र एवं न्यायाधीश हरीश कुमार गोयल ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मुकेश को दोषी करार देते हुए आजीवन करावास की सजा सुनाई। साथ ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जेल भेजने का आदेश दिया। सरकार की ओर से मामले की पैरवी शासकीय अधिवक्ता केपी खन्ना ने की।