लालू यादव को मिली 14 साल की सजा

रांची। सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े दुमका कोषागार मामले में आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को चौदह वर्ष के सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।  इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में लालू समेत सभी आरोपियों द्वारा वर्ष 1990 के बाद से अर्जित सभी संपत्तियों की जांच करने और उनकी जब्ती की कार्रवाई के भी निर्देश दिये। लालू प्रसाद को इससे पहले चारा घोटाले से जुड़े तीन अन्रू मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। इस मामले में उन्हें दुमका कोषागार से तीन करोड़, तेरह लाख रुपये का गबन करने का दोषी ठहराया गया था।

अदालत ने इस मामले में लालू यादव समेत 19 आरोपियों को 19 मार्च को दोषी करार दिया था जबकि जगन्नाथ मिश्रा समेत 12 अन्य लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। लालू प्रसाद यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद को भारतीय दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी एवं सरकारी पद के दुरुपयोग से जुड़ी धाराओं 120 बी, 409, 420, 467, 468, 471 एवं 477 के तहत जहां सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी वहीं न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13-1 सी एवं डी एवं 13-2 के तहत भी उन्हें सात वर्ष कैद, एवं तीस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।

अदालत ने यह भी आदेश दिये कि लालू प्रसाद की दोनों सजायें इस मामले में एक के बाद एक चलेंगी जिसके चलते इस मामले में उनकी कुल सजा चैदह वर्ष का सश्रम कारावास एवं साठ लाख रुपये जुर्माना हो जायेगा। जुर्माना न देने की स्थिति में लालू यादव को दोनों ही कानूनों के तहत एक-एक वर्ष की और कैद काटनी होगी अर्थात् उन्हें दो वर्ष की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।

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