नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘खानदानी शफाखाना’ फिल्म के नाम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि फिल्म यौन शिक्षा देने और यौन रोगों से जुड़े कलंक को दूर करने और उनके उपचार के लिए समाज के एक बड़े वर्ग तक पहुंचने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने अपने फैसले में कहा कि फिल्म में सामाजिक बदलाव के बारे में दिखाया गया है।
दिल्ली के सेक्सोलॉजिस्ट विजय एब्बॉट ने याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म उन्हें और उनके पेशे को बदनाम करती है। फैसले में कहा गया है कि वादी और क्षेत्र में काम करने वाले अन्य पेशेवर अबतक स्थानीय अखबारों में इश्तहार प्रकाशित कराते थे।
उनके पास यौन शिक्षा प्रदान करने और यौन रोगों से जुड़े कलंक को दूर करने के लिए समाज के बड़े वर्ग तक पहुंचने और देशव्यापी चर्चा शुरू करने का फिल्म सुनहरा मौका देती है। अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत फिल्म दो अगस्त को रिलीज हो चुकी है।