श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में तीन साल पुरानी बीजेपी और पीडीपी सरकार गिर गई है। बीजेपी ने पहले पीडीपी से गठबंधन तोड़ने का एलान नई दिल्ली में किया, इसके बाद सीएम महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है। घाटी में सियासी उठापटक के बीच नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला श्रीनगर में राज्यपाल एनएम वोहरा से मुलाकात करने पहुंचे हैं।
बीजेपी महासचिव राम माधव ने इससे पहले नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर कहा कि राज्य के हालात को देखते हुए बीजेपी की केंद्रीय समिति ने फैसला किया कि राज्य की महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेकर वहां राज्यपाल शासन लगाया जाय। उन्होंने कहा कि राज्य में हालात पर नियंत्रण के लिए महबूबा सरकार से समर्थन वापसी का फैसला किया है। बता दें कि 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीडीपी के 28 और बीजेपी के 25 विधायक हैं। पिछले कुछ महीनों से इस गठबंधन के बीच दोनों दलों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं थे।
इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य के सभी मंत्रियों और बीजेपी के बड़े नेताओं को दिल्ली तलब किया था। उनसे चर्चा करने के बाद बीजेपी ने यह तय किया कि जम्मू-कश्मीर में अब पीडीपी के साथ आगे चलना मुश्किल होगा। लिहाजा, गठबंधन तोड़ने का फैसला किया गया। अमित शाह ने इससे पहले अपने आवास पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाकात की।
बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल एनएन वोहरा को भेज दी है। इधर समर्थन वापसी के बाद राज्य में राजनीतिक पारा गर्मा गया है। विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेन्स ने आनन-फानन में पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है। उधर, बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने कहा है कि यह गठजोड़ अप्राकृतिक और अनैतिक था। सेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि पीडीपी और बीजेपी की दोस्ती राष्ट्रद्रोही था। उन्होंने कहा कि ये गठबंधन टूटना तय था क्योंकि 2019 में बीजेपी जवाब देने में नाकाम रहती।