ISRO पहले ही दे देगा चेतावनी, नदियों में बाढ़ की वजह से नहीं होगा कोई हलकान
ईआईआरएस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अरिजीत रॉय ने बताया कि देहरादून शहर को लेकर इसरो द्वारा अध्ययन किया जाएगा जिसके तहत उच्च क्षमता के ड्रोन के माध्यम से रिस्पना तथा बिंदाल नदी के किनारे बसे शहरी क्षेत्र की हाई रिजोल्यूशन इमेज ली जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके जरिए बाढ़ की दृष्टि से खतरनाक इलाकों को चिह्नित किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो देहरादून के माइक्रो क्लाइमेट पर शोध करेगा। इसके तहत इसरो के वैज्ञानिक उच्च क्षमता के ड्रोन के जरिए रिस्पना और बिंदाल के किनारे बसी शहरी आबादी को बाढ़ से होने वाले खतरों का आकलन करेंगे। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों के बीच बुधवार को आपदा में सहयोग को लेकर हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
इसके साथ ही ऐसे क्षेत्रों की पहचान भी की जाएगी जहां बारिश की वजह से ब्लॉकेज होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उन सभी इलाकों की पहचान की जाएगी जहां बारिश की वजह से जलमग्न होने की संभावना है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य परियोजना अधिकारी रिदिम अग्रवाल ने इस दौरान अधिकारियों को जल्द इस संदर्भ में आईआईआरएस के साथ एमओयू करने के निर्देश दिए। बैठक में वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ.गिरीश जोशी,सिस्टम एनालिस्ट अमित शर्मा, आईईसी ऑफिसर ज्योति नेगी, शैलेश घिल्डियाल आदि उपस्थित थे।
आईआईआरएस के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अरिजीत रॉय ने बताया कि इस अध्ययन में एक साल का समय लगेगा। अध्ययन के लिए कुछ क्षेत्र चिह्नित किये जा चुके हैं, जबकि कुछ अन्य क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। बैठक में बताया गया कि इस अध्ययन को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाएगा।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिदिम अग्रवाल ने बताया कि राज्य में आपदा प्रबंधन की तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौसम पूर्व चेतावनी को मजबूत करने के लिए राज्य में 108 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, 28 रेन गेज, 16 स्नो गेज आदि स्थापित किए जा रहे हैं।