मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम और लॉकडाउन समेत छह बिंदुओं पर चर्चा हुई। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार लॉकडाउन जारी रखने के पक्ष में है। लिहाजा केंद्र सरकार से भी राज्य की ओर से यह सिफारिश की जा रही है। इसकी अवधि पर केंद्र का फैसला मान्य होगा। संक्रमण को काबू में रखने के लिए सरकार ज्यादा सख्ती करने के पक्ष में है।
कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने लॉकडाउन को 14 अप्रैल के बाद बढ़ाने की सिफारिश केंद्र से की है। यह अवधि आगे कितने दिन बढ़ाई जाए, इस पर फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ा गया है। मंत्रिमंडल ने यह अहम फैसला लिया। यह निर्णय लिया गया कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सभी मंत्रियों, राज्यमंत्रियों और विधायकों के वेतन में 30 फीसद कटौती होगी। वेतन कटौती का यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से अपने मंत्रियों के लिए लागू की गई व्यवस्था के मुताबिक होगा। अगले दो वषों तक विधायक निधि से एक-एक करोड़ की कटौती कर उसे कोविड-19 फंड में दिया जाएगा।
वर्तमान में मुख्यमंत्री व छह काबीना मंत्रियों का मासिक वेतन 90-90 हजार है, जबकि दो राज्यमंत्री का वेतन 84-84 हजार रुपये है। वेतन व भत्तों समेत एक मंत्री को प्रतिमाह करीब 3.42 लाख और राज्यमंत्री को करीब 3.10 लाख रुपये मिलते हैं। विधायकों का प्रतिमाह वेतन 30 हजार रुपये है। वेतन और भत्ते मिलाकर उन्हें करीब 2.91 लाख रुपये हर महीने मिलते हैं। भत्तों में कटौती का फैसला तब लागू होगा, जब केंद्र ने ऐसा ही किया हो। विधायक निधि से अगले दो सालों में दो करोड़ की कटौती की जाएगी। हर साल एक करोड़ की कटौती होगी। राज्य में एक मनोनीत विधायक समेत 71 विधायक हैं। हर साल 71 करोड़ समेत कुल 142 करोड़ की यह निधि कोविड-19 फंड में जमा होगी।
- लॉकडाउन की अवधि तय करने का फैसला केंद्र पर छोड़ा
- भत्ते की कटौती के बारे में केंद्र के मुताबिक बढ़ेंगे कदम
- लॉकडाउन में ढील में कमी करने पर सीएम लेंगे फैसला
- सीएम-मंत्री को 90 हजार, राज्यमंत्री को 84 हजार वेतन
- विधायक का वेतन है 30 हजार रुपये प्रतिमाह
- दस लाख एपीएल राशनकार्ड धारकों को दोगुना राशन 5