आईआईटी रुड़की तैयार करेगा 2041 की दिल्ली का नक्शा, डीडीए के साथ हुआ करार
पहले फेज में करीब सात करोड़ खर्च होंगे, जिसमें वर्तमान की दिल्ली का खाका तैयार करने के बाद भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। 160 बिंदुओं को शामिल करते हुए तैयार होने वाले मास्टर प्लान में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा। इसमें स्मार्ट सिटी के स्तर की सभी सुविधाएं शामिल होंगी।
वर्ष 2041 में जिस सपनों की दिल्ली के निर्माण की बात हो रही है, उसका नक्शा आईआईटी रुड़की तैयार करेगा। इसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और संस्थान के बीच एमओयू साइन किया गया है।
पिछले दो दशकों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का विकास तेजी से हुआ है, लेकिन वर्ष 1962 के बाद से यहां कोई मास्टर प्लान तैयार नहीं हुआ है। अब डीडीए ने आने वाले 20 वर्षों में दिल्ली के नवनिर्माण की कवायद शुरू की है।
इसके तहत बड़ी आबादी को रहन-सहन की तमाम सुविधाओं को ध्यान में रखा जा रहा है। इस सपने को साकार करने के लिए डीडीए की ओर से एडिशनल कमिश्नर के श्रीरंगन और स्पांसर्ड रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल कंसलटेंसी, आईआईटी रुड़की की तरफ से सिविल डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन ने एमओयू साइन किया है।
प्रो. कमल जैन ने बताया कि एमओयू के अनुसार, वर्ष 2041 के मास्टर प्लान के तहत करीब 1500 वर्ग किमी क्षेत्र का नक्शा तैयार किया जा रहा है। इस पर काम शुरू कर दिया गया है। नक्शा तैयार होने के बाद पूरी दिल्ली के सभी भवनों का फील्ड सर्वे होगा। अगले चरण में मास्टर प्लान में सुविधाओं का खाका तैयार किया जाएगा।
इसमें ड्रेनेज, अतिक्रमण, वाटर सप्लाई समेत स्मार्ट सिटी के स्तर की कम्यूनिटी फैसिलिटी का पूरा प्लान होगा। प्रो. जैन ने बताया कि यह योजना चार चरण में होगी। पहले चरण में करीब सात करोड़ में दिल्ली की वर्तमान तस्वीर तैयार की जाएगी।
हर भवन की इंटरनेट पर होगी तस्वीर
मास्टर प्लान के तहत बनाए जा रहे नक्शे में दिल्ली के हर आवासीय, व्यवसायिक, सरकारी, गैर सरकारी भवनों के अलावा, अस्पताल, जिम, मॉल, पार्क, सड़क, चौराहे, बाजार, रोडवेज, एयरपोर्ट सभी की विवरण सहित तस्वीर इंटरनेट पर उपलब्ध होगी। इसमें हर भवन के स्वामी का नाम, उसके भवन की माप आदि का पूरा ब्योरा मिलेगा।
मास्टर प्लान तैयार करने के लिए यूएवी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रो. जैन ने बताया कि यह हर प्वाइंट पर समुद्र तल से ऊंचाई को रेखांकित करेगा। इसे कंटूर मैपिंग भी कहा जाता है, जो यह बताएगा कि यदि किसी जगह पानी भरा हो तो उसका ढलान किस दिशा में होगा।
इसके आधार पर ऐसा ड्रेनेज प्लान तैयार होगा कि दिल्ली में कहीं भी पानी न भरे। इसके लिए ड्रोन की मदद से टोपोग्राफी भी तैयार होगी। खास बात यह होगी कि ड्रेनेज प्लान के लिए 2डी और 3डी नक्शा भी बनाया जाएगा।
नक्शे में होंगे अमृत मिशन के निर्धारित सिंबल
नक्शे में अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन (एमआरयूटी) के तहत निर्धारित सिंबल का प्रयोग होगा। यानी सरकारी भवनों, सड़कों, रेलवे, रोडवेज आदि के लिए निर्धारित किए गए रंगों से ही मैप पर संबंधित जगहों की पहचान की जा सकेगी। वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन के अनुसार, ड्रोन कैमरे में लगे हाई रेज्योल्यूशन कैमरों की मदद से तस्वीरें इतनी साफ होंगी कि मैप में बिजली के खंभे भी साफ देखे जा सकेंगे।