हिमालयी राज्यों को शिक्षा के बजट में रहेगी राहत – रमेश पोखरियाल निशंक

हिमालयी राज्यों को शिक्षा के बजट में रहेगी राहत

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हिमालयी राज्यों को ध्यान रखते हुए ही उन्हें केंद्रपोषित योजना समग्र शिक्षा अभियान 90:10 अनुपात में बजट दिया जा रहा है। इसमें राज्यों की हिस्सेदारी महज 10 फीसद है। उन्होंने भरोसा दिया की उत्तराखंड समेत इन 11 राज्यों की जरूरत का ध्यान रखा जाएगा। दरअसल कोरोना महामारी के दौर में केंद्र सरकार को भी आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यों को दिए जाने वाले शिक्षा के बजट पर आॢथक तंगी का असर दिखाई देगा।

हिमालयी राज्यों को केंद्रपोषित समग्र शिक्षा अभियान के बजट में कटौती के मामले में राहत रहेगी। कोरोना संकटकाल में आर्थिक संसाधनों में कमी को देखते हुए केंद्र सरकार की ओर से इस बजट में कटौती के संकेत दिए गए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि केंद्र सरकार हिमालयी राज्यों की विशेष परिस्थितियों से वाकिफ है। महामारी के दौर में इन राज्यों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाएगा। यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति में प्रकृति, पर्यावरण सुरक्षा पाठ्यक्रम के खास अंग रहेंगे।

प्रदेश को कक्षा एक से 12वीं तक शिक्षा के लिए केंद्रपोषित समग्र शिक्षा अभियान के बजट में कटौती के संकेत इसी माह के पहले पखवाड़े में हो चुकी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में दिए गए हैं। बीते वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड के लिए करीब 1070 करोड़ के बजट को मंजूरी दी गई थी। उत्तराखंड व अन्य हिमालयी राज्य सीमित संसाधनों की वजह से शिक्षा के स्तर को सुधारने से लेकर स्कूलों में संसाधन और बुनियादी सुविधाएं जुटाने को लेकर केंद्र की मदद पर निर्भर हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री के आश्वासन से राज्यों को नई उम्मीद जगी है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री निशंक ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान दूरस्थ शिक्षा की जरूरत बढ़ी है। इसकी गुणवत्ता पर पूरा ध्यान है। यूजीसी के अध्यक्ष को टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इग्नू को विस्तार दिया जा रहा है। 50 से अधिक देशों के छात्र इग्नू के पाठ्यक्रम से जुड़ने जा रहे हैं। स्टडी इन इंडिया योजना को प्रोत्साहित करते हुए इस बारे में निर्णय लिया जा चुका है। ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसमें अभी काफी गुंजाइश है। ज्यादा तैयारी भी करनी होगी। इसकी समीक्षा भी की जाएगी।

उन्होंने कहा कि देश में ऑनलाइन शिक्षा महज पांच फीसद तक सीमित थी, कोरोना संकट काल में यह बढ़कर 60 से 70 फीसद तक पहुंच गई है। हालांकि अभिभावकों से यह अनुरोध भी किया जा रहा है कि ऑनलाइन शिक्षा का सपोर्ट सही है, लेकिन इसके लिए बच्चों पर अनावश्यक दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए।

 

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