आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में कमजोर और वंचित तबकों के बच्चों के लिए 25 फीसद कोटा तय है। वर्ष 2018-19 तक आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 1,01,116 बच्चों को दाखिला मिल चुका है। इस आंकड़े में लगातार इजाफा हो रहा है। साथ में सरकार की देनदारी भी बढ़ रही है। राज्य सरकार लगातार केंद्र से खर्च की प्रतिपूर्ति मांग रही है। केंद्र का रुख इस मामले में ज्यादा सकारात्मक नहीं रहा है। खर्च की तुलना में काफी कम धनराशि की प्रतिपूर्ति केंद्र कर रहा है।
राज्य के निजी स्कूलों में दाखिल कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों की फीस की बढ़ती देनदारी ने सरकार के हाथ-पांव फुला दिए हैं। आरटीई एक्ट के तहत दाखिल एक लाख से ज्यादा बच्चों के लिए सरकार को 220 करोड़ का भुगतान निजी स्कूलों को करना है। भुगतान नहीं होने पर स्कूलों की नाराजगी देखकर सरकार जेब ढीली करने को राजी हो गई। बकाया भुगतान के लिए 107 करोड़ की राशि देने की पत्रावली को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंजूरी दे दी।
वर्ष 2019-20 के लिए 124.89 करोड़ और वर्ष 2019-20 में अनुमानित 95 करोड़ की अवशेष प्रतिपूर्ति निजी विद्यालयों को की जानी है। केंद्र से हाल ही में स्वीकृत 55 करोड़ की राशि राज्य को मिल भी चुकी है। बावजूद इसके अब भी 219.89 करोड़ की राशि की प्रतिपूर्ति स्कूलों को होनी है। धन नहीं मिलने से खफा निजी स्कूल बच्चों को दाखिला देने से इन्कार कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने मजबूर होकर करीब 107 करोड़ देने पर सहमति दे दी। हालांकि राशि भुगतान करने को हरी झंडी देने के साथ वित्त ने शर्तें भी जोड़ी हैं। निजी स्कूलों को पात्र बच्चों को ही प्रवेश, शिक्षा ग्रहण करने के प्रामाणिक अभिलेखों, अभिभावकों के आय प्रमाणपत्रों की सत्यता प्रमाणित करनी होगी।