16216 करोड़ की लागत वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का इन दिनों कार्य तेजी से चल रहा है। परियोजना के तहत 16 सुरंगों के निर्माण कार्यों को 10 पैकेज में बांटा गया है और छह सुरंगों पर कार्य चल रहा है। वीरभद्र और ऋषिकेश के बीच पहले ब्लाक खंड का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसके अलावा आरओबी समेत अन्य कार्य भी चल रहे हैं।
केंद्र पोषित महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का दायरा बढ़ेगा। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद गैरसैंण से लेकर द्वारहाट तक के क्षेत्र को रेल नेटवर्क से जोड़ने के मद्देनजर राज्य सरकार अब जल्द ही केंद्र सरकार से बात करेगी। इस कोशिश के परवान चढऩे से जहां गैरसैंण के लिए सफर आसान होगा, वहीं क्षेत्र के विकास को पंख लगेंगे।
ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल परियोजना के आकार लेने पर ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक का सफर करीब ढाई-तीन घंटे में तय होगा। इससे चारधाम यात्रियों को तो सहूलियत मिलेगी ही, स्थानीय लोगों को भी बेहतर संपर्क कनेक्टिविटी मिल सकेगी। अब जबकि गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा सरकार कर चुकी है तो इस प्रोजेक्ट के तहत गैरसैंण को भी रेल मार्ग से जोड़ने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
वर्तमान में गैरसैंण का नजदीकी रेलवे स्टेशन 150 किमी के फासले पर रामनगर है। ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट के आकार लेने पर गैरसैंण का नजदीकी रेल स्टेशन 50 किमी दूर कर्णप्रयाग होगा। राज्य सरकार चाहती है कि गैरसैंण (चमोली) के साथ ही इसके नजदीकी द्वारहाट (अल्मोड़ा) तक का क्षेत्र रेल कनेक्टिविटी से जुड़े।
इसकी संभावनाओं पर सरकार विभिन्न स्तरों पर विचार कर रही है। इसके लिए ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट को द्वारहाट तक विस्तार देने की मांग केंद्र सरकार के समक्ष रखी जाएगी। इन कोशिशों के परवान चढऩे से जहां गैरसैंण तक का सफर आसान होगा, वहीं पूरे इलाके के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के अनुसार, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना को द्वारहाट तक बढ़ाने के संबंध में मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है। अब जल्द ही मुख्यमंत्री इस बारे में केंद्र सरकार से वार्ता करेंगे।
रेल मंत्रालय ने काशीपुर-धामपुर के मध्य नई रेल लाइन के सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। इस प्रस्तावित रेल मार्ग के बनने से गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के मध्य दूरी कम होगी।
बलूनी ने कहा कि इस नई रेल लाइन के बनने से देहरादून से काठगोदाम के बीच रेलमार्ग से दूरी 50 किमी कम हो जाएगी। इससे देहरादून से कुमाऊं के द्वार हल्द्वानी के बीच रेल यात्रा का समय भी डेढ़ से दो घंटे कम हो सकता है। वर्तमान में देहरादून-काठगोदाम रेलमार्ग मुरादाबाद, रामपुर और बिलासपुर होकर जाता है। ट्रेफिक के कारण ट्रेन को इस मार्ग पर घंटों इंतजार करना पड़ता है। बलूनी ने बताया कि इस रेल लाइन के निर्माण पर 1250 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी।
भाजपा के राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने बताया कि उन्होंने गत वर्ष अगस्त में रेलमंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर काशीपुर-धामपुर के मध्य नई रेल लाइन बिछाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री ने उनकी मांग को मानते हुए इस लाइन के सर्वे के काम को तुरंत शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसे अब पूर्ण कर लिया गया है।