नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश सहित पांच विधायकों का निधन, उत्तराखंड विधानसभा में दुर्भाग्य नहीं छोड़ रहा पीछा
डॉ. इंदिरा हृदयेश के निधन से हल्द्वानी विधानसभा सीट भी रिक्त हो गई है। हालांकि अधिकारिक रूप से सीट को रिक्त घोषित करने में कुछ दिन का समय लगेगा। इसी के साथ सवाल उठ रहा है कि क्या गंगोत्री के साथ हल्द्वानी के भी उपचुनाव होंगे। सामान्य तौर पर निर्वाचन आयोग सभी जगह की रिक्त सीटों पर एक साथ ही उपचुनाव करवाता है, ऐसे में आयोग इस मामले में क्या निर्णय लेता है, इस पर सबकी नजर होगी। खासकर तब जबकि विधानसभा के आम चुनाव में अब चंद महीने ही शेष हों। नियमानुसार अब सीट रिक्त होने के छह महीने के भीतर उपचुनाव जरूरी है, लेकिन बहुत कम समय के लिए निर्वाचन की उपयोगिता भी आयोग के स्तर से आंकी जाती है |
उत्तराखंड ने नेता विपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के रूप में मौजूदा विधानसभा में अपना पांचवां सदस्य खो दिया है। इससे पूर्व 2017 के विधानसभा चुनाव में थराली, पिथौरागढ़, सल्ट और गंगोत्री से जीते विधायकों का भी आकस्मिक निधन हो चुका है। इसमें से पहले तीन के लिए उपचुनाव भी हो चुका है। चौथी विधानसभा के अंतिम वर्ष तक भी दुर्भाग्य सदन का पीछा नहीं छोड़ रहा है। इस विधानसभा में अब तक पांच सदस्यों का आकस्मिक निधन हो चुका है। जो साढ़े चार साल के कार्यकाल में एक दुखद रिकॉर्ड है। इससे पूर्व थराली विधायक मगन लाल शाह, पिथौरागढ़ से विधायक और मंत्री प्रकाश पंत, सल्ट से विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और गंगोत्री विधायक गोपाल रावत का निधन हो चुका है। उक्त चारों विधायक सत्ताधारी भाजपा के निर्वाचित हुए थे। अब नेता विपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश के रूप में पांचवें विधायक का निधन हुआ है।