उत्तराखंड सरकार के पिटारे से निकली त्योहारी सौगात

उत्तराखंड सरकार के पिटारे से निकली त्योहारी सौगात

राजकीय सेवा के करीब दो लाख कर्मचारियों के वेतन से अब कोविड फंड के नाम पर अक्तूबर से एक दिन के वेतन की कटौती नहीं होगी। कर्मचारी संगठन सरकार से इस बाबत लगातार मांग कर रहे थे।

उत्तराखंड सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार के पिटारे से त्योहारी सौगात निकली। कर्मचारियों, पर्यटन कारोबारियों और कब्जेदारों व पट्टेधारकों को सरकार ने सौगात दी है।

न्यायालय में भी यह मसला गया था। वहीं, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सेवा के अधिकारियों के मासिक वेतन से एक दिन की कटौती जारी रहेगी।

वर्ग 3 व वर्ग 4 के अवैध कब्जों पर मालिकाना हक

प्रदेश में वर्ग 3 व वर्ग 4 की भूमि पर अवैध कब्जेदारों व पट्टेधारकों को भूमिधरी का अधिकार मिलेगा। प्रदेश मंत्रिमंडल ने 2004 के सर्किल रेट के आधार पर सशुल्क भूमि पर मालिकाना हक देने का फै सला लिया। जो लोग जून 1983 व उससे पहले से वर्ग 3 व वर्ग 4 की भूमि पर काबिज हैं, वे शासनादेश जारी होने के एक साल के भीतर कब्जे की भूमि या पट्टे पर भूमिधरी का अधिकार पाने के लिए आवेदन कर सकेंगे। लेकिन वर्ग 3 की उस भूमि पर भूमिधरी का अधिकार नहीं मिलेगा, जो जलमग्न है और जिसमें तालाब, कब्रिस्तान, श्मशान घाट आदि शामिल हैं।

पर्यटन कारोबार से जुड़े करीब 2.43 लाख लोगों को सरकार एक-एक हजार रुपये की और आर्थिक सहायता देगी। कोविड-19 महामारी के कारण प्रदेश के पर्यटन उद्योग पर पड़े गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर सरकार एक बार एक-एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता दे चुकी है। कैबिनेट ने पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव को फिर से मंजूरी दे दी है। आर्थिक सहायता के लिए आवेदन करने वालों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से खाते में धनराशि भेजी जाएगी।

पिरुल की पत्तियों की दर एक रुपये प्रति किलो बढ़ाई

बिजली बनाने में इस्तेमाल हो रही पिरुल की पत्तियों की दर भी एक रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ा दी गई है। कैबिनेट ने ऊर्जा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। लोगों को चीड़ की पिरूल एकत्रीकरण से जोड़ने के लिए अब प्रति किलोग्राम पिरूल के एवज में दो रुपये तय हुए हैं।

प्रदेश मंत्रिमंडल ने खेल नीति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पिछले दिनों ही मुख्यमंत्री ने नीति के मसौदे पर विचार किया था। कैबिनेट ने बैठक में लाए गए नीति के उन प्रावधानों को मंजूरी दी है, जो वित्त से नहीं जुड़े हैं। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक वित्त से जुड़े मसलों पर नीति के जिन प्रावधानों में धनराशि शामिल है, उनकी व्यवस्था के संबंध में वित्त विभाग अलग से प्रस्ताव मुख्यमंत्री को देगा।

कुंभ मेला अखाड़ों की भूमि पर अवस्थापना कार्य कराएगी सरकार

तीर्थ नगरी हरिद्वार में अगले साल होने वाले कुंभ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सरकार अखाड़ों में अवस्थापना विकास पर एक-एक करोड़ की धनराशि खर्च करेगी। इसके लिए अखाड़ों के पास अपनी जमीन होनी चाहिए। अखाड़ों में होने वाले ये काम ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के तकनीकी सहयोग व निगरानी में किए जाएंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अखाड़ों में अवस्थापना विकास के लिए एक-एक करोड़ की धनराशि देने को मंजूरी दी गई। वर्तमान में 13 अखाड़े हैं। इन अखाड़ों के माध्यम से लाखों श्रद्धालु कुंभ मेले में आते हैं।

इनके लिए शौचालय, स्नानागार, सीवर सुविधा, बिजली, पीने के पानी समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार यह धनराशि खर्च करेगी। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से यह धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।

बता दें कि कुंभ मेला के लिए हरिद्वार में 70 से अधिक निर्माण कार्य चल रहे हैं। इन कार्यों के लिए सरकार की ओर से अब तक चार सौ करोड़ से अधिक धनराशि जारी की गई है। सरकार ने दिसंबर तक सभी स्थायी निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

शराब व्यवसाय पर नियंत्रण को ट्रैक एंड ट्रैस प्रणाली मंजूरी

प्रदेश मंत्रिमंडल ने राज्य में शराब व्यवसाय पर प्रभावी नियंत्रण एवं पारदर्शिता के लिए ट्रैक एंड ट्रैस प्रणाली को मंजूरी दे दी है। यह प्रणाली उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान  केंद्र के माध्यम से लागू करेगा। इसके लिए आवश्यक होला ग्राम की आपूर्ति सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(एसपीएमसीआईएल) नासिक से की जाएगी। इसके लिए कंपनी से तीन साल के लिए अनुबंध किया जाएगा। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक के मुताबिक, ट्रैक एंड ट्रैस प्रणाली के लागू होने से इस पूरे कारोबार पर आबकारी विभाग की पकड़ मजबूत होगी।

अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान नहीं प्रोत्साहन राशि देना चाहती है सरकार

प्रदेश में संचालित राजकीय सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों के अनुदान के मसले पर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को मंथन हुआ। लेकिन कैबिनेट किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। वित्त विभाग का सुझाव है कि सरकार  ऐसे महाविद्यालयों को अनुदान देने के बजाय प्रोत्साहन राशि देने पर विचार करे।

इसके लिए एक नीति बनाने का सुझाव दिया गया है। कैबिनेट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, सचिव वित्त, सचिव न्याय और सचिव कार्मिक को सदस्य रखा गया है। कमेटी प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करेगी और अपनी सिफारिशें देगी।

वर्तमान में प्रदेश में 11 राजकीय विवि, 18 निजी विश्वविद्यालय हैं। केंद्रीय विवि से 106 सरकारी कॉलेज, 17 राजकीय स्ववित्त पोषित बीएड कालेज,  178 निजी कॉलेज संबद्ध हैं। प्रदेश में 18 अशासकीय महाविद्यालयों को राज्य निधि से वित्तीय वर्ष 2019-20 मे कुल 90 करोड़ 25 लाख 85 हजार दिए गए।  राजकीयकरण के कारण उक्त महाविद्यालयों में 27.50 लाख का अतिरिक्त व्यय भार पड़ा।

– महाविद्यालयों का किसी भी दशा में राजकीकरम न किया जाए।
– अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन  की समानता राजकीय कालेजों के शिक्षआ के व्यय वेतन न हो।
– अशासकीय महाविद्यालयों के वेतन आदि पर अनुदान देने का कोई औचित्य नहीं है।
– छात्रों के भविष्य को देखते हुए ऐसे महाविद्यालयों मे क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन के लिए लमसम प्रोत्साहन राशि देने को नीति बने।

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