दिल्ली, गुजरात समेत हिंदीभाषी राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड में भी बनेगा फीस ऐक्ट
शिक्षा निदेशालय को फीस एक्ट पर दिल्ली, गुजरात, यूपी समेत हिंदी बेल्ट के राज्यों में किए गए प्रयोग और राज्य में जिला स्तर से आए प्रस्तावों का अध्ययन करने को कहा गया है। इन दोनों पहलुओं के आधार पर निदेशालय शासन को फीस एक्ट का नया ड्राफ्ट देगा। मालूम हो कि वर्तमान ड्राफ्ट गुजरात के एक्ट के अनुसार तय है। इसमें हर साल के बजाए तीसरे साल फीस संशोधन, नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और गिरफ्तारी तक का प्रावधान सुझाया गया है। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैठक में निर्देश प्राप्त हो गए हैं। अब उनके विधिवत आदेश के रूप में मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों में फीस और एडमिशन प्रक्रिया पर नियंत्रण के लिए बहुप्रतिक्षित फीस ऐक्ट पर एक बार फिर से हलचल शुरू हुई है। शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने शिक्षा निदेशालय को जिला स्तर से प्राप्त सुझाव और हिंदी बेल्ट के राज्यों की व्यवस्थाओं के आधार पर नया प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। पिछले छह साल से ज्यादा वक्त से अधर में लटके फीस एक्ट पर चुनावी साल में सरकारी हलचल के कई निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सचिवालय में शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में आयेाजित उच्च स्तरीय बैठक में फीस एक्ट पर मंथन के बाद नए निर्देश आए हैं। इस बैठक में शासन और निदेशालय के आला अधिकारी मौजूद थे।
फीस ऐक्ट को लेकर एक सवाल यह भी है कि यह बातों और दावों से बाहर निकलकर कभी असल में लागू भी होगा कि नहीं? दरअसल, राज्य में फीस एक्ट की प्रक्रिया पिछले छह साल से ज्यादा वक्त से चल रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पूर्व सचिव डॉ. एमसी जोशी, फिर डी सेथिल पांडियन और अब आर मीनाक्षीसुंदरम भी प्रस्ताव बनवा चुके हैं। पूर्ववर्ती कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में तो इसे विधेयक के रूप में विधानासभा में पेश करने की तैयारी थी, पर ऐन वक्त पर टाल दिया गया। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद से शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय लगातार फीस एक्ट पर मुखर रहे हैं। पर, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में भी अंतिम क्षणों में सरकार की इससे रुचि खत्म हो गई थी। 10 मार्च को प्रदेश में तीरथ सिंह रावत के सीएम बनने के बाद शिक्षा मंत्री पांडेय एक बार फिर से एक्ट को लेकर सक्रिय हुए हैं।