उत्तराखंड में ऊर्जा क्षेत्र को लगा 100 करोड़ का झटका
उत्तराखंड के लिए ऋण लेने की सीमा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का तीन फीसद से बढ़ाकर पांच फीसद की गई है। यह सुविधा लेने के लिए जिन चार सुधारों को लागू करना है, उनमें ऊर्जा क्षेत्र में तीन सुधारों को शामिल किया गया है। सुधार के अन्य क्षेत्र ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, वन नेशन वन राशन कार्ड और शहरी विकास विभाग से संबंधित हैं। अब हाल देखिए। कोरोना की वजह से बीते मार्च माह से लेकर जून तक बिजली बिलों की वसूली नहीं हो पाई।
ऊर्जा सुधारों के तहत लाइन लॉस कम करने की दिशा में बढ़ रहे उत्तराखंड को कोरोना संकट ने झटका दिया है। करीब चार महीने तक बिजली बिलों की वसूली और चोरी रोकने की मुहिम थमने से ऊर्जा निगम का 100 करोड़ से ज्यादा धन उपभोक्ताओं के पास फंस गया। इस वजह से लाइन लॉस में चार फीसद इजाफा हुआ है। ऊर्जा सुधार की प्रक्रिया थमने से राज्य को दो मोर्चे पर चुनौती से जूझना होगा। एक ओर लाइन लॉस बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर सुधार नहीं होने की सूरत में राज्य को ऋण सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है।
इस दौरान औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन, कारोबार समेत तमाम गतिविधियां बेहद सुस्त रहीं हैं। बिजली खपत में कमी से ज्यादा चिंता बिलों की वसूली न होने को लेकर है। लाइन लॉस पर इसका सीधा असर हुआ। प्रदेश में लाइन लॉस 16.44 फीसद से बढ़कर 20.40 फीसद हो चुका है। ऊर्जा क्षेत्र में दूसरे सुधार के तहत विभिन्न परियोजनाओं से बिजली के उत्पादन और उसे उपभोक्ता तक पहुंचाने पर हो रहे खर्च का वास्तविक आकलन करना है। इसके बूते ऊर्जा कंपनियों को लाभप्रद बनाया जा सकेगा।
तीसरे सुधार की जरूरत उत्तराखंड को नहीं पड़ने वाली। इसकी वजह राज्य में किसानों को मुफ्त बिजली देने की व्यवस्था नहीं है। जो राज्य ऐसा कर रहे हैं, यह सुधार उन्हें करना है। ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि एटीएंडसी (एग्रीगेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल) लॉस में 1.05 फीसद की कमी आगामी दिसंबर से पहले लाई जाएगी। दूसरे सुधार के तहत मीटरिंग और बिलिंग की व्यवस्था को सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।