प्रदेश में सेलाकुई, हरिद्वार, काशीपुर और सितारगंज में तीन सौ से ज्यादा फार्मा इकाइयां हैं। लेकिन, इनमें से 65 इकाइयों में ही सेनिटाइजर का उत्पादन होता है। वहीं, मास्क बनाने वाली फार्मा इकाइयों की संख्या और भी कम तकरीबन एक दर्जन के आसपास है। इन इकाइयों में भी उच्च क्वालिटी का मास्क तैयार नहीं होता। फिलहाल कोरोना के संक्रमण को देखते हुए सरकार कोशिश कर रही है कि प्रदेश में सेनिटाइजर और मास्क की कमी न हो। इसके साथ ही बाजार में निम्न गुणवत्ता का सेनिटाइजर न बिके। इसके लिए सरकार ने सेनिटाइजर और मास्क बनाने के नियमों में ढील देने का निर्णय लिया है। जिससे अधिक से अधिक कंपनियां इनके उत्पादन को आगे आएं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सबसे कारगर उपाय सेनिटाइजर और मास्क का इस्तेमाल है। इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए उद्योग निदेशालय ने नियमों में ढील देते हुए नई कंपनियों को सेनिटाइजर और मास्क बनाने के लिए आवेदन देने को कहा है। इसके साथ ही पहले से सेनिटाइजर बना रही कंपनियां फिलहाल बिना किसी कागजी कार्रवाई के इसका उत्पादन बढ़ा सकती हैं।
इस बाबत उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल ने बताया कि जो कंपनियां पहले से सेनिटाइजर व मास्क का उत्पादन कर रही हैं। वह अपनी डिमांड के अनुसार फिलहाल उत्पादन बढ़ा सकती हैं। इसके साथ ही जो नई कंपनियां इनका उत्पादन करने में समर्थ हैं, वह निदेशालय में आवेदन करें। तत्काल जांच-पड़ताल कर उन्हें उत्पादन की अनुमति दी जाएगी। हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों को भी सरकार की ओर से सेनिटाइजर के उत्पादन की अनुमति दी जा रही है।
लेकिन, सरकार का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी कंपनी कोरोना वायरस की आड़ में घटिया किस्म के सेनिटाइजर और मास्क का निर्माण न करे। इसकी मॉनीटरिंग की जा रही है। ऐसा मामला पकड़ में आने पर संबंधित कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लॉकडाउन के दौरान अति आवश्यक सेवाओं वाले उद्योगों में उत्पादन जारी रहेगा। इसमें फार्मास्युटिकल और मेडिकल उपकरण बनाने वाले उद्योग भी शामिल हैं। इस बाबत उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन को सचिव नितेश कुमार झा का निर्देश पत्र प्राप्त हो गया है। जिसमें फार्मा उद्योगों को लॉकडाउन से छूट दी गई है।
उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के निर्णय के बाद उन्होंने तत्काल मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से दूरभाष पर संपर्क किया। मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया कि प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे फार्मा उद्योग लॉकडाउन से प्रभावित नहीं होंगे, जिनमें सेनिटाइजर, मास्क, एंटीबायोटिक दवाओं और मेडिकल उपकरणों का उत्पादन होता है। इसमें दवाओं की पैकेजिंग का सामान तैयार करने वाली कंपनी भी शामिल हैं। अन्य उद्योगों में लॉकडाउन प्रभावी रहेगा।
प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर की 65 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनसे करीब 3.58 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। फार्मा उद्योगों को छोड़कर अन्य इकाइयां फिलहाल 31 मार्च तक बंद रहेंगी। सरकार ने पंजीकृत कामगारों को तो राहत देते हुए एक हजार रुपये देने का निर्णय लिया है। लेकिन, इस स्थिति में ठेकेदार के माध्यम से काम करने वाले मजदूरों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो सकता है।
उत्तराखंड में सेलाकुई, मोहब्बेवाला, देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर, सितारगंज आदि औद्योगिक क्षेत्रों में छोटी-बड़ी 351 फार्मास्युटिकल इकाइयां हैं। जिनमें मेडिकल किट से लेकर सेनिटाइजर और दवाओं का उत्पादन होता है। उद्योग संघ के एक अनुमान के अनुसार राज्य में प्रति माह करीब 100 करोड़ की दवाओं का उत्पादन होता है। जिनकी सप्लाई चीन और खाड़ी देशों के साथ ही पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली आदि राज्यों में होती है।
वैसे तो किसी भी फार्मास्युटिकल कंपनी को एक दवा का लाइसेंस लेने के लिए ड्रग अथॉरिटी और सरकार के नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ता है। मसलन उपयोग होने वाले रासायनिक पदार्थ, जांच प्रयोगशाला, विशेषज्ञ अधिकारी, उत्पादन क्षमता, कंपनी का फार्मा में पूर्व अनुभव, पैकेजिंग की उच्च गुणवत्ता आदि पर खरा उतरने पर दवा लाइसेंस मिलता है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने सेनिटाइजर व मास्क के निर्माण के लिए फार्मा इकाइयों को इन बिंदुओं में छूट दी है।
हैंड सैनिटाइजर और मास्क की ओवर रेटिंग पर लगाम लग गई है। केंद्र सरकार के इन दोनों ही वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की अधिसूची में शामिल मूल्य निर्धारित करने से दून में भी मेडिकल स्टोर संचालकों की मनमानी थम गई है। अब आप महज 250 रुपये में 500 एमएल सैनिटाइजर खरीद सकते हैं। इसके अलावा अब शहर में सैनिटाइजर और मास्क की उपलब्धता भी पर्याप्त हो गई है।