देहरादून : भाजपा नेता अगर अपने मुख्यमंत्री की सराहना करें तो बनता है, मगर विपक्ष कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंंह धामी की तारीफ में कुछ कहें तो मानना पड़ेगा कि सबसे युवा मुख्यमंत्री होने के बावजूद पुष्कर कुछ तो धमाल कर रहे हैं।
धामी ने इस बार एक पहल की, उन्होंने सभी विधायकों से अपने विधानसभा क्षेत्रों की शीर्ष 10 प्राथमिकताओं वाली विकास योजनाओं की जानकारी मांगी है। यह इसलिए, ताकि जनता की उम्मीदों और अपेक्षाओं को सरकार पूरा कर सके।
सभी विधायक, मतलब अपनी पार्टी के अलावा कांग्रेस, बसपा व निर्दलीय 23 विधायक भी इस सूची में शामिल हैं। संदेश साफ है कि मुख्यमंत्री की नजरों में पूरे प्रदेश का विकास महत्वपूर्ण है, न कि दलगत राजनीति। इस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने इसका स्वागत किया। हरीश रावत तो इससे पहले भी धामी के निर्णयों को सराह चुके हैं।
हरक प्रेम से बोले, मैंने इस्तीफा दिया, आपका कब
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत जब से कांग्रेस में लौटे हैं, चुप्पी साधे हैं। पिछली चार विधानसभाओं में सत्ता किसी की भी रही, इनके पास अहम ओहदा रहा। सत्ता में रहे तो मंत्री और विपक्ष में रहे तो नेता विपक्ष। यह पहला अवसर है जब हरक विधायक नहीं हैं, लेकिन हनक बरकरार है।
हाल में एक कार्यक्रम में शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल से इनका सामना हुआ। प्रेम चंद विधानसभा भर्तियों को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं, तो हरक ने मौका ताड़ सवाल कर डाला कि आप कब इस्तीफा दे रहे हैं। हरक आगे बोले कि जब वह मंत्री थे तो उन्होंने नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे दिया था।
असल में राज्य की पहली सरकार में हरक को मंत्री पद छोडऩा पड़ा था। अब प्रेम लपके और बोले, आपने तो जैनी प्रकरण के कारण इस्तीफा दिया था। आप स्वयं आकलन कर लीजिए, इनमें कौन किस पर भारी।
डा धन सिंह रावत धामी कैबिनेट के उन चुनिंदा सदस्यों में शामिल हैं, जो सबसे अधिक सक्रिय नजर आते हैं। दरअसल, उनके पास मंत्रालय भी खासे भारी-भरकम हैं। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक, साथ ही स्वास्थ्य और सहकारिता भी। मतलब इनके पास पर्याप्त स्कोप है मीडिया में जगह बनाने का। इतने अहम महकमे हैं लेकिन मजाल क्या कभी किसी ने इन्हें विश्राम लेते देखा हो।
उत्साह का आलम यह कि इन्हें खुद भी मालूम नहीं होता कि कब यह अति उत्साह में तब्दील हो गया। तीन दिन पहले की बात है, राजधानी देहरादून के नजदीक इन्होंने एक नए-नए डिग्री कालेज में शौर्य दीवार की स्थापना की। शौर्य दीवार देश के वीर जवानों के साहस और वीरता की प्रतीक है, ताकि विद्यार्थी इनसे प्रेरणा ले सकें। अब यह अलग बात है कि जिस महाविद्यालय में शौर्य दीवार स्थापित की गई, उसके पास अभी न अपनी भूमि है और न भवन।
विधायक बांधें तारीफों के पुल, जरूर कोई बात है
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दूसरी पारी में एक के बाद एक बड़े फैसले लेकर जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करते जा रहे हैं। सरकार के ऐसे किसी भी कदम के बाद स्वाभाविक रूप से प्रदेश अध्यक्ष और प्रवक्ता इसकी सराहना करते हैं, लेकिन पिछले सप्ताह इस कड़ी में कुछ विधायकों के बयान जिस तरह एक के बाद एक कर आए, उसने सबका ध्यान खींचा।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल और बंशीधर भगत के बयानों के बाद दो बार के विधायक विनोद चमोली ने मुख्यमंत्री धामी के तारीफों के पुल बांधे, उनके कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाईं, उससे सत्ता के गलियारों में दिलचस्प चर्चाएं हैं। चुफाल और भगत मुख्यमंत्री धामी के पहले कार्यकाल में कैबिनेट में थे, लेकिन अब उन्हें मौका नहीं मिला। दोनों खामोश रहे, चमोली वैसे भी चुप ही रहते हैं। लगता है ऊपर से हुई आकाशवाणी के बाद अब सबके ज्ञान चक्षु खुले हैं।