दिल्ली, देहरादून में बढ़ी रिंगाल राखियाें की डिमांड

दिल्ली, देहरादून में बढ़ी रिंगाल राखियाें की डिमांड

चीनी राखियों से इस समय तक जो बाजार पटे रहते थे। वहां अब चाइनीज सामान की मात्रा नहीं के बराबर दिख रही है। बाजार को देखते हुए इस बार स्वयं सहायता समूहों ने आगे आकर लोकल फॉर वोकल पर फोकस किया। कपकोट ब्लाक के शामा क्षेत्र की महिलाओं ने रिंगाल से बने हस्तनिॢमत राखियां बनानी शुरू कीं। यह राखियां बाजार में आते ही व्यापारियों ने हाथों-हाथ लिया। हस्तनिर्मित राखी अब आजीविका को मजबूत कर रही हैं।

बागेश्वर जिले के दानपुर क्षेत्र के शामा में बन रही रिंगाल की हस्तनिर्मित राखियां दिल्ली, देहरादनू, जयपुर आदि जगहों पर धमाल मचाने जा रही हैं। हस्तनिर्मित राखी के माध्यम से महिलाएं लोगों को लोकल फॉर वोकल का संदेश दे रही हैं। इस बार चीन के साथ तनातनी का असर भारतीय बाजार पर साफ दिखाई दे रहा है।

शामा की दीपाली ठाकुर, यमुना कोरंगा, खष्ठी देवी, दीक्षा केसरवानी, नेहा मेहता, पूजा बिष्ट अब तक करीब 500 से अधिक राखियां बना चुकी हैं। रिंगाल से बनी राखी की कीमत 30 रुपये और वेस्ट मैटेरियल से बनी राखी की कीमत 15 रुपये है। राखी को ङ्क्षरगाल और धागे की मदद से बनाया गया। राखी को बागेश्वर, हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार, देहरादून, दिल्ली और जयपुर आदि स्थानों पर भेजा। आयुॢवजन ग्रुप महिलाओं को हस्त निॢमत राखी बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। शामा और कपकोट गांव में महिलाएं पांच दिनों से हस्तनिॢमत राखी बना रही हैं।

हल्द्वानी में लगेगा स्टाल

आयुॢवजन ग्रुप के संस्थापक भूपेंद्र कोरंगा ने बताया कि ग्रुप के माध्यम से हस्तनिॢमत राखी के सबसे अधिक ऑर्डर हल्द्वानी से आ रहे हैं। राखी लोगों तक पहुंचाने के लिए बागेश्वर और हल्द्वानी में स्टाल लगाया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण कई जगहों से होम डिलीवरी की भी डिमांड आ रही है।

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