नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का निधन हो गया। बता दें कि शीला दीक्षित लम्बे समय से बीमार चल रहीं थीं। 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज संभालने वाली शीला दीक्षित ने 81 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। मिली जानकारी के मुताबिक लंबे समय से बीमार चल रहीं शीला दीक्षित ने एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में अपना दम तोड़ा।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अभी तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थीं। उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने भाजपा सरकार को दिल्ली की सत्ता से बेदखल किया था और उसके बाद शीला दीक्षित ने 15 साल तक मुख्यमंत्री के रूप में शासन संभाला। लेकिन शासन के अंतिम वर्ष में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे और उसी दौरान आम आदमी पार्टी का उदय हुआ।
अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से ऐसी लहर पैदा हुई कि शीला दीक्षित सरकार को सत्ता से बुरी तरह बेदखल होना पड़ा। शीला दीक्षित को बाद में कांग्रेस आलाकमान ने राज्य की राजनीति से हटा दिया और उन्हें केरल का राज्यपाल बनाकर भेज दिया लेकिन 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद शीला ने यह पद छोड़ दिया।
शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया था। शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं और केंद्र में मंत्री पद संभाल चुकी हैं। जब उन्हें दिल्ली की राजनीति में लाया गया था तब उन्हें पूर्वी दिल्ली से तत्कालीन भाजपा सांसद लाल बिहारी तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ाया गया था लेकिन उस समय वह चुनाव हार गयी थीं।
‘तरंगों में खबरें’ मासिक समाचार पत्र एवँ वेब पोर्टल के संपादक अभिनव कपूर ने शीला दीक्षित के आकस्मिक निधन पर अपनी संवेदना प्रकट करते हुए शोक व्यक्त किया है। उन्होंने शीला दीक्षित के निधन को देश के लिए एक बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की राजनीति के इतिहास में शीला जी को हमेशा याद किया जाएगा।