मन! मंदिर नही होता, मन को मंदिर बनाना पड़ता है

ज्ञान के उजाले से ही मिटता है अधंकार

रैस्टकैम्प निरंकारी सत्संग भवन में कानपुर से पधारी पूज्य बहन अमृत कौर जी अपने विचार व्यक्त करते हुए
रैस्टकैम्प निरंकारी सत्संग भवन में कानपुर से पधारी पूज्य बहन अमृत कौर जी अपने विचार व्यक्त करते हुए

देहरादून। सन्त निरंकारी मण्डल के तत्वाधान में आयोजित रैस्टकैम्प निरंकारी सत्संग भवन में कानपुर से पधारी

देहरादून भवन में सत्संग सुनते हुये निरंकारी भक्त
देहरादून भवन में सत्संग सुनते हुये निरंकारी भक्त

पूज्य बहन अमृत कौर जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इंसान का मन मंदिर नही होता, मन को मंदिर बनाना पड़ता है। सद्गुरू के ज्ञान उजाले से, मन का अंधकार मिटता है और मन साफ सुथरा यानी कि मन मंदिर बन जाता है। सत्गुरू प्यार की दौलत देकर जीवन में नामधन प्रदान करता है, जिससे दिव्य गुणों, प्रेम, दया, करूणा तथा भाईचारें की भावना मानव जीवन की पहचान बन जाती है। इन मानवीय गुणों से ही मानव की असली पहचान होती है। सत्गुरू हमें प्यार, सत्कार देकर मानवमात्र के कल्याण के लिए चुनता है। इंसान अन्य योनियों में श्रेष्ठ है, यह श्रेष्ठता तभी सिद्ध होगी जब इंसान का कार्य व व्यवहार श्रेष्ठ होगा।

सत्गुरू की रहमत से जीवन में बदलाव आता है, जिससे हमें खुशियां मिलती है। जो आनन्द हमें सत्संग में मिलता है, वह हमेशा सुखदायी होता है। माया से इस आनन्द को प्राप्त नही किया जा सकता है। यह केवल गुरूकृपा से ही प्राप्त होता है। जनम-मरण के बन्धन सत्गुरू की कृपा से कटते है।

देहरादून भवन में सत्संग सुनते हुये निरंकारी भक्त
देहरादून भवन में सत्संग सुनते हुये निरंकारी भक्त

उन्होनें आगे फरमाया सत्गुरू ने हमारे जीवन की दिशा व दशा अपना ज्ञान देकर बदल दी। मन की भटकन दूर हो गयी। नामरूपी दौलत देकर जीवन जीने का सलीका सीखा दिया। जो भी गुरू चरणो के साथ में जुड़ा रहता है, उसके मन की दुविधा मिटती जाती है। मानव जीवन का एक मात्र उद्देश्य प्रभु प्राप्ति है न कि धन, दौलत और भोग की वस्तुओं के एकत्रित करना। माया भक्ति मार्ग में सबसे बड़ी बाधक है। मात्र गुरू का ज्ञान ही माया को मन पर हावी होने से रोकता है तथा इस ज्ञान के माध्यम से परमात्मा को देखने के बाद ही इसका गुणगान किया जा सकता है। जब तक इस प्रभु निराकार को जाना ही नही तक तब इसका गुणगान सूरज को दीपक दिखाने के समान है। हम सभी भाग्यशाली है, जो हमको पूरण सतगुरू का सानिध्य मिला क्योकि यह कर्म साध्य दरबार नही, कृपा साध्य दरबार है। हम सब मिल जुलकर सतगुरू के आर्शीवादों के पात्र बने रहे। इसी बीच 69वें वार्षिक सन्त समागम बुराड़ी रोड़, दिल्ली के लिए करीब 40 सेवादल के भाई बहन भी रवाना हुए जिनका नेतृत्व श्री राजेश निरंकारी जी ने किया।

देहरादून सत्संग भवन में गुरु की मत के अनुसार सेवादल संचालक पूज्य मंजीत सिंह जी ने अपने सुपुत्र श्री सुखदेव सिंह व इशिता जी की शादी की रस्म पूरी की।
देहरादून सत्संग भवन में गुरु की मत के अनुसार सेवादल संचालक पूज्य मंजीत सिंह जी ने अपने सुपुत्र श्री सुखदेव सिंह व इशिता जी की शादी की रस्म पूरी की।

आज सत्संग में सेवादल संचालक पूज्य मंजीत सिंह जी के पुत्र श्री सुखदेव सिंह व इशिता जी की शादी की रस्म पूरी की गयी, जिसमें सभी श्रद्धालु भक्तो ने विवाह की शुभ कामनाये दी। इस अवसर पर मसूरी जोन के जोनल इंचार्ज श्री हरभजन सिंह जी एवं संयोजक कलम सिंह रावत जी उपस्थित थे। मंच संचालन भगवत प्रसाद जोशी द्वारा किया गया।

ब्यूरो चीफ

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