देहरादून पुलिस पर जबरन अवैध वसूली का आरोप, पढ़ें ये खबर

देहरादून। राजधानी देहरादून की धारा चौकी पुलिस पर संगीन आरोप लगे हैं। नगर कोतवाली क्षेत्र की धारा चौकी पुलिस पर आरोप है कि चौकी के कुछ पुलिसकर्मियों ने दबिश के नाम पर देर रात लगभग साढ़े 12 बजे एक सभ्रांत व्यक्ति के घर के भीतर बगैर किसी वारंट के घुसकर उसका उत्पीड़न किया और उससे अवैध वसूली की कोशिश की गई।

आपको बता दें कि पुलिस मुख्यालय ने बदमाशों व वारंटियों की धरपकड़ के आदेश क्या दिए कि जिले के कुछ पुलिसकर्मियों की तो बांछे खिल गयी और खिलनी भी क्यों नही थी आखिर वसूली का मौका जो मिल गया। इसकी आड़ में कुछ लोगों को अपनी दुश्मनी पुलिस के माध्यम से निकालने का अवसर भी प्राप्त हो गया।

आरोप है कि देहरादून के एक वकील ने धारा चौकी के पुलिसवालों को इस धरपकड़ की आड़ में चैक बाउन्स के आरोपी एक व्यक्ति को परेशान करने का ठेका 10,000 रुपये में दिया। जिसके बाद धारा चौकी के 4 दरोगा और एक महिला पुलिस मिलकर रात को लगभग 12.30 बजे ऊक्त संभ्रात व्यक्ति के घर पहुँच गए।

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बताया जा रहा है कि पुलिस द्वारा रात को सो रहे लोगों को तंग कर उस कैम्पस के 4 घरों के दरवाजों को पीटा गया और दरवाजा खुलते ही वे घरों में घुस गए। यही नहीं बताया जा रहा है कि पुलिस टीम द्वारा एक घर का दरवाजा भी तोड़ दिया गया। शिकायतकर्ता के अनुसार आरोपी वकील पुलिस को लगातार फोन पर घर की लोकेशन बता रहा था। पीड़ित ने पुलिसकर्मियों की कॉल डिटेल चैक करने की मांग भी की है।

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अब सवाल ये उठता है कि आखिर दून की सभ्य और समझदार माने जाने वाली मित्र पुलिस को क्या हो गया है। क्या यही है देहरादून पुलिस की कार्यशैली? क्या सही और गलत व्यक्ति की पहचान नही रही देहरादून पुलिस को? आपको बता दें कि देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी ने अपना पदभार संभालते हुए ये ऐलान किया था कि जनपद में उनके रहते किसी निर्दोष को सताया नहीं जाएगा और कोई कानून का दोषी बख्शा नहीं जाएगा किंतु ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। लगता है दून की मुस्तैद पुलिस को अब अपने कप्तान का भी ख़ौफ़ नहीं रहा है इसीलिए वो ऐसी हरकतों को अंजाम दे रही है।

पीड़ित के अनुसार उस पर चोरी, डकैती, लूटपाट, हत्या और बलात्कार जैसी किसी संगीन घटना का आरोप नहीं था। फिर भला ऐसी क्या मजबूरी थी पुलिस की, कि उसे रात को 12.30 बजे आकर पीड़ित और उसके परिवार से बदतमीजी करने की जरूरत पड़ी? यदि पुलिस चाहती तो दबिश और पूछताछ का यह कार्य दिन में भी कर सकती थी। पीड़ित ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। जिससे पीड़ित को न्याय मिल सके।

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