ओ नन्हें दीपक तुझ पर
लाखों सूरज वारे हैं
तेरी टिम .टिम लौ के आगे
अग्नि पुंज भी हारे हैं
शेष समर तुझको साथी
यूँ ही जलते जाना है
घोर तिमिर रजनी में
दिनकर बन उग आना है
इस नन्ही लौ ने
शत्रु अनेकों मारे हैं
दल बादल छा जाएँ नभ में
संकल्प कभी ना छूटे तेरा
सामर्थ्यवान की शक्ति सदा ही
तोड़े महा विपति का घेरा
घोर तमस की रातों में
बीज उजास के गाड़े हैं
छल प्रपंचों की चौखट पर
चोट सदा ही होती है
रहकर तम् के अधीन
मर्यादा अक्सर रोती है
तेरे नन्हें हाथों ने
पत्र अमावस के फाड़े हैं
मोल तेरा जाना जग ने
ख्याति सदा ही पाई है
ये तो प्यारे दीपक तेरे
पुरुषार्थ की कमाई है
हमसब अन्धकार से लड़ने
खड़े तेरे सहारे हैं