उत्तराखंड में कोरोना की मृत्यु दर 1.92 फीसद, ब्लैक फंगस की नौ फीसद
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार यह फंगल इंफेक्शन नाक से शुरू होता है। इसके बाद यह आंखों में पहुंचता है और फिर दिमाग तक जाता है। जिनकी इम्युनिटी कमजोर है, उन व्यक्तियों को सावधान रहने की जरूरत है। जिन व्यक्तियों में डायबिटीज अनियंत्रित रहती है, उनको ब्लैक फंगस का खतरा अधिक है। खासतौर पर अगर उन्हें कोरोना भी हुआ हो। यह फंगस फेफड़े या दिमाग में चला जाए तो मरीज की जान जाने का खतरा ज्यादा रहता है। इसके नाक या साइनस में रहने तक मरीज को बचाना आसान होता है। जरूरत समय पर इलाज शुरू करने की होती है।
प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि इस बीमारी से मरने वालों की संख्या भी अब हर दिन बढ़ रही है। उत्तराखंड में कोरोना की मृत्यु दर 1.92 फीसद है, जबकि ब्लैक फंगस में नौ फीसद। राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के 155 मामले आए हैं। इनमें 14 मरीज दम तोड़ चुके हैं। 13 मरीज स्वस्थ होकर घर चले गए हैं।
सलाह
- कोरोना से ठीक होने के बाद अपना ब्लड शुगर नियंत्रित रखें।
- चिकित्सक की सलाह के बाद ही स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें।
- एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाइयों का उपयोग कैसे करना है, इसपर चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
- आक्सीजन ले रहे हैं तो ह्यूमिडिफायर में साफ पानी का ही इस्तेमाल करें।
- ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर इम्युनिटी बूस्टर दवा बंद कर दें।
- इलाज के लिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखें यानी पानी की कमी न होने दें।