कमरे में दो घंटे तक रह सकता है कोरोना वायरस

कमरे में दो घंटे तक रह सकता है कोरोना वायरस

सीएसआइआर ने अपनी गाइडलाइंस आन वेंटिलेशन आफ रेजिडेंशियल एंड आफिस बिल्डिंग फार सार्स-कोव-टू वायरस पर शोध किया। इसमें सीएसआइआर के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) रुड़की, सीएसआइआर चंडीगढ़, इंस्टीट्यूट आफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (आइएमटेक) चंडीगढ़, नेशनल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) नागपुर, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआइ) मैसूर और केंद्रीय औषधीय और सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) लखनऊ की लैब के विज्ञानी शामिल थे।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ने शोध कर घर, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में प्रति घंटे वायु परिवर्तन (एयर चेंज पर आवर्स) को लेकर नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी)-2016 के मानकों में कुछ बदलाव किया है। शोध में अंदर की हवा बाहर जाने और बाहर की हवा अंदर आने (क्रॉस वेंटिलेशन) की व्यवस्था बनाने पर जोर दिया गया है। वहीं, शारीरिक दूरी 1.5 मीटर से लेकर तीन मीटर तक जरूरी बताई गई है। शोध में यह भी पाया गया कि कोरोना संक्रमित के एरोसोल कमरे में दो घंटे तक रह सकते हैं। कमरे में इनके संक्रमित करने की क्षमता दो मीटर से भी अधिक हो सकती है। लिहाजा, कमरा खुला और हवादार होना चाहिए। विज्ञानियों ने कमरे में एसी की बजाय पंखे के इस्तेमाल की सलाह दी है।

शोध में शामिल सीबीआरआइ रुड़की के आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रमुख विज्ञानी डा. अशोक कुमार ने बताया कि घर, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों में एयर चेंज पर आवर्स को लेकर एनबीसी-2016 के मानक कुछ बदले गए हैं। बताया कि एसिम्टोमेटिकया प्री-सिम्टोमेटिक मरीज के कमरे में बात करने, गाने, छींकने या खांसने से एरोसोल  0.05 से 500 माइक्रो मीटर हो सकते हैं।

भारी एरोसोल सतह पर चले जाते हैं, जबकि छोटे दो घंटे तक हवा में रह सकते हैं। इनके संक्रमित करने की दूरी दो मीटर से भी अधिक हो सकती है। यह कितनी देर रहते हैं, ये कमरे के तापमान व नमी पर निर्भर है। यह वायरस कई घंटों तक रह सकता है, जिससे दूसरे व्यक्तियों के प्रभावित होने की आशंका रहती है। ऐसे में खुली हवा से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। कमरे में हवा का बदलाव यानी प्रति घंटे वायु परिवर्तन प्रति व्यक्ति दस लीटर प्रति सेंकेंड होना चाहिए।

डा. अशोक के अनुसार कमरों को अधिक हवादार होना चाहिए। शोध में कमरों कातापमान और आद्र्रता नियंत्रित रखने की भी सलाह दी गई है। बताया कि सीएसआइआर ने घर और व्यावसायिक भवनों के लिए नये मानक तय किए हैं। इंडोर एयर क्वालिटी सुधारने के लिए सीएसआइआर ने इंडोर एयर प्यूरीफिकेशन स्क्रबर सिस्टम, यूवी, आयल आधारित समाधान का सुझाव दिया है। डा. अशोक ने बताया कि शोध की रिपोर्ट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री को भेजी गई है।

सीबीआरआइ रुड़की के प्रमुख विज्ञानी डा. अशोक कुमार ने बताया कि इमारत और विभिन्न वेंटिलेशन सिस्टम की अन्य टाइपोलाजी के लिए दिशा-निर्देश प्रगति पर हैं। वहीं, सीएसआइआर-सीबीआरआइ रुड़की और केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआइओ) चंडीगढ़ की ओर से कक्षा, छोटे कार्यालय कक्ष, दुकान आदि के लिए उपयोग की जानी वाली स्टैंडअलोन इंडोर वायु कीटनाशक प्रणाली पर शोध चल रहा है।

घरों में इन बातों का रखें ख्याल

-सिंगल वाल वाले कमरों के दरवाजे खुले रखें।

-खिड़की के पास पंखे का इस्तेमाल करें।

-बाथरूम में एग्जास्ट फैन व वेंटिलेशन की सुविधा हो।

-खिड़की या वेंटिलेशन की समस्या वाले कमरे का उपयोग न करें।

-मेहमानों के कमरे को उनके आने और जाने के बाद 15 मिनट तक खुला रखें।

व्यावसायिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में

जहां शिफ्ट में काम होता है, वहां हर शिफ्ट से 15 मिनट पहले व 15 मिनट बाद तक कमरों की खिड़कियां खुली रखें।

-यहां का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस व आद्र्रता 40 से 70 फीसद तक हो।

-पंखों का इस्तेमाल किया जाए।

-गर्म आद्रता वाले वातावरण में 24 से 27 डिग्री सेल्सियस व गर्म-शुष्क वातावरण में 25 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान हो।

-हवा को शुद्ध रखने के लिए अपग्रेडिट एयर क्वालिटी फिल्टर यानी एमईआरवी14/एफ 8 का इस्तेमाल करें।

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