फुटहिल क्षेत्रों में अब कंटूर मैप जरूरी
नई व्यवस्था के तहत अब फुटहिल क्षेत्रों में भवन निर्माण कराने पर एमडीडीए में कंटूर मैप भी दाखिल करना पड़ेगा। इसके बिना नक्शा पास नहीं किया जाएगा। दून में विभिन्न हिस्सों में फुटहिल क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं। हाई कोर्ट में गतिमान वाद के क्रम में एमडीडीए आज-कल इन क्षेत्रों में नोटिस जारी कर रहा है। जिस व्यवस्था का पालन प्राधिकरण को वर्ष 2015 से कराना था, उस पर अब अमल किया जा रहा है। अचानक लागू की गई इस व्यवस्था व नोटिस को लेकर लोग असमंजस में हैं।
वर्ष 2015 में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के बिल्डिंग बायलॉज (भवन उपविधि) में प्रविधान किया गया था कि 30 डिग्री और इससे अधिक के ढाल पर भवन निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बात और है कि एमडीडीए ने जिन भवनों के नक्शे पास किए, उनमें यह देखा ही नहीं गया कि संबंधित भूखंड का ढाल कितना है। अब जाकर हाई कोर्ट में चल रहे रेनू पॉल बनाम उत्तराखंड सरकार के मामले से एमडीडीए की तंद्रा टूटी है। जिसके बाद फुटहिल क्षेत्रों (जहां पहाड़ व मैदान मिलते हैं) में कंटूर मैप (ऊंचाई वाले स्थलों की माप) मांगा जा रहा है।
जिन व्यक्तियों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किया है, वह इसका समाधान खोजने के लिए आर्किटेक्ट के पास जा रहे हैं। फिलहाल आर्किटेक्ट सुझाव दे रहे हैं कि कोरोनाकाल में वह पक्ष रखने के लिए एमडीडीए नहीं आ सकते और उन्हें अतिरिक्त समय दिया जाए।
दून में यह क्षेत्र फुटहिल में (साडा के विलय से पहले के क्षेत्र)
- टौंस नदी के उत्तर की तरफ और डूंगा जाने वाले मार्ग के पूरब की तरफ वाला भाग।
- मसूरी डायवर्जन मार्ग पर जोहड़ी मार्ग, जो महायोजना (मास्टर प्लान) में 24 मीटर प्रस्तावित है और सप्लाई की तरफ जाता है, इस मार्ग का उत्तर की तरफ का क्षेत्र।
- नए व पुराने मसूरी डायवर्जन मार्ग के मध्य का क्षेत्र।
- राजपुर रोड पर मसूरी डायवर्जन मार्ग व राजपुर मार्ग से इंदर बाबा मार्ग होते हुए धोरण पुल के बाद आइटी पार्क से सहस्रधारा रोड तक। इसके बाद बाल्दी नदी के पश्चिमी किनारे पर प्राधिकरण की सीमा तक।
- बाल्दी नदी व सौंग नदी के मध्य का क्षेत्र।
एनबीसी में 45 डिग्री तक भवन निर्माण का प्रविधान
उत्तराखंड इंजीनियर एंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा का कहना है कि नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के मुताबिक 30 से 45 डिग्री के ढाल वाले भूभाग पर भवन निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए विभिन्न चरण में रिटेनिंग वाल (पुस्ता) बनाने का नियम है। कोई भी बिल्डिंग बायलॉज इसी कोड के मुताबिक तैयार किया जाता है। लिहाजा, फुटहिल व अन्य ढालदार क्षेत्रों में एनबीसी के कोड के मुताबिक नियमों में संशोधन करने की जरूरत है।