कांग्रेस चापलूसों को महत्व देती रही तो बिगड़ेगी स्थिति: निरुपम

मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण से नाराज मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने पार्टी आलाकमान पर जमकर निशाना साधा। शुक्रवार को प्रेस कॉफ्रेंस में निरुपम ने कहा, ”सोनिया गांधी के साथ जुड़े लोग साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस को चापलूसों सेसावधान रहना होगा।

अगर ऐसे लोगोंको महत्व देंगे तो पार्टी की स्थिति और बदतर हो जाएगी। अगर मेरे साथ पार्टी का यही व्यवहार रहा तो प्रचार में शामिल नहीं होऊंगा।” हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे फिलहाल पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। निरुपम ने कहा कि दर्द सहने की क्षमता तक कांग्रेस में रहूंगा।

निरुपम ने कहा, “आखिर मेरे अंदर झेलने की कितनी क्षमता है? कांग्रेस के पूरे मॉडल में ही खामियां हैं। राहुल गांधी के साथ जुड़े नेताओं को अलग-थलग किया गया। दिल्ली में बैठे लोगों को समझ ही नहीं, पार्टी में योग्य लोगों के साथ न्याय नहीं किया गया। लगता है उन्हें अब संघर्ष करने वालों की जरूरत नहीं रही।”

”किसी उम्मीदवार को टिकट देने से पहले हर पार्टी फीडबैक लेती है। लेकिन यहां किसी भी चीज पर मेरी राय नहीं मांगी गई। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के उम्मीदवारों से बात तक नहीं की। मुझे लगता है 2 से 3 सीटों को छोड़ दिया जाए तो हर जगह कांग्रेस की जमानत जब्त होगी। पार्टी नेतृत्व को सीखना पड़ेगा।”

इससे पहले गुरुवार को निरुपम ने ट्विटर के जरिए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए थे। वे टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस आलाकमान से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी को अब मेरी सेवाओं की जरूरत नहीं है। मुंबई में मैंने विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ एक नाम की सिफारिश की थी। पता चला है कि उसे भी खारिज कर दिया गया। मैंने नेतृत्व को पहले ही बताया था कि ऐसी स्थिति में मैं चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लूंगा। यह मेरा आखिरी फैसला है। अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘मुझे उम्मीद है कि पार्टी को गुड बाय कहने का वक्त नहीं आएगा। लेकिन, लीडरशिप जिस तरह से मेरे साथ बर्ताव कर रही है, उससे लगता है कि अब वह दिन दूर नहीं है।’

पिछले कुछ दिनों के दौरान मुंबई कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। इनमें अभिनेत्रीउर्मिला मातोंडकर और कृपाशंकर सिंह जैसे बड़ेनाम शामिल हैं। संजय की छवि उत्तर भारतीय नेता की है। बिहार से ताल्लुक रखने वाले संजयने राजनीति की शुरुआत शिवसेना से की थी। उन्होंने पार्टी के मुखपत्र सामना में भी काम किया। वे शिवसेना और कांग्रेस के कोटे सेदो बार राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।

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