उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, जो स्वयं कोरोना के खिलाफ सरकार की मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं, भी इससे अछूते नहीं हैं। मूवमेंट को पहले ही सीमित कर चुके मुख्यमंत्री ने फैसला लिया है कि अब कोरोना को लेकर होने वाली बैठकें ऑनलाइन की जाएंगी, ताकि एक ही स्थान पर कई अधिकारियों की मौजूदगी की जरूरत ही न रह जाए।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा प्रदेश लॉकडाउन है। आम आदमी घरों में कैद है क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं। नौकरीपेशा तबका वर्क फ्रॉम होम के तहत घरों से ही अपना काम निबटा रहा है। आम आदमी ही नहीं, खास लोगों का रूटीन भी कोरोना ने पूरी तरह बदल दिया है।
मुख्यमंत्री आवास पर तैनात स्टाफ को एक-तिहाई कर दिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि इन दिनों आवास में एक समय में केवल एक ही निजी सचिव की डयूटी लगाई गई है, जबकि सामान्य परिस्थितियों में इनकी संख्या तीन से चार तक होती है। यही स्थिति टेलीफोन ऑपरेटर की है। इससे मुख्यमंत्री आवास में अधिकारियों व कर्मचारियों की आवाजाही काफी सीमित हो गई है। मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश और निकासी के लिए एक ही गेट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
बकौल मुख्यमंत्री, कोरोना की रोकथाम के लिए जरूरी है कि एक स्थान पर ज्यादा लोग एकत्र न हों। इन दिनों लगातार बैठकों को देखते हुए फैसला किया गया है कि अधिकारियों के साथ ऐसी बैठकें एप के जरिये ऑनलाइन की जाएंगी ताकि किसी को इसके लिए कहीं आने-जाने की जरूरत न पड़े। मुख्यमंत्री ने बताया कि हालांकि कैबिनेट ने परिस्थितियों के मद्देनजर अहम फैसलों के लिए उन्हें अधिकृत कर दिया है, लेकिन फिर भी कैबिनेट की बैठकें ऑनलाइन या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएंगी। कहीं भी भीड जैसी स्थिति न बने, इसी कड़ी में मुख्यमंत्री आवास में भी शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हर व्यक्ति को सेनेटाइजर व मास्क दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री रोजाना सुबह 5.30 बजे जग जाते हैं। आधा घंटा योग व व्यायाम के बाद आवास पर ही बने कोर्ट में लगभग एक घंटा बैडमिंटन खेलते हैं। नाश्ते के बाद फाइलें निबटाते हैं और इसके बाद आवास पर स्थित कार्यालय में जरूरी काम संपादित करते हैं। इस रूटीन में बदलाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्यादातर काम इन दिनों आवास से ही संचालित कर रहे हैं। फर्क यह आया है कि अब हर फाइल पर हस्ताक्षर करने के बाद सेनेटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर साबुन से हाथ धो रहे हैं। नियमित मोबाइल फोन को भी सेनेटाइज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खानपान में कोई बदलाव नहीं किया है, पहले भी भोजन सादा होता था, अब भी सादा ही है। अलबत्ता परिवार के साथ कुछ ज्यादा समय व्यतीत करने को मिल रहा है।
धर्मनगरी हरिद्वार में अगले साल होने वाले कुंभ के आयोजन को बदली परिस्थितियों में भी केंद्र सरकार ने अपनी प्राथमिकता में रखा है। केंद्र ने हरिद्वार कुंभ-2021 के लिए 375 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है। यह राशि कुंभ मेला स्पेशल असिस्टेंस कैपिटल के रूप में प्रदेश सरकार के प्रस्तावों के सापेक्ष स्वीकृत की गई है। यह राशि मिलने से अब हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों में और तेजी आएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा यह राशि स्वीकृत किए जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रति आभार जताया है। हरिद्वार कुंभ के दिव्य-भव्य आयोजन के लिए किए जाने वाले विभिन्न कार्यों और व्यवस्थाओं के दृष्टिगत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार से एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने कुंभ मेला क्षेत्र में लगभग पांच सौ करोड़ के कार्य शुरू किए हैं, जिनमें सड़कों, पुलों का निर्माण जैसे स्थायी प्रवृत्ति के कार्य शामिल हैं। कुछ कार्य ऐसे भी हैं, जिन्हें केंद्र से धनराशि मिलने की प्रत्याशा में प्रारभ कराया गया है।
अब केंद्र ने कुंभ के लिए धनराशि जारी की है, जो इस बात की तस्दीक करता है कि कुंभ कार्यों को केंद्र ने अपनी प्राथमिकता में रखा है, ताकि वहां निर्माण कार्य बाधित न हों। फिर अभी वित्तीय वर्ष का यह पहला महीना है और माना जा रहा कि कुंभ के लिए केंद्र सरकार से आगे भी धनराशि मंजूर होगी। वर्तमान में 375 करोड़ की रकम मिलने से हरिद्वार में कुंभ से संबंधित कार्यों को बड़ा संबल मिला है।