केंद्रीय मंत्रिमंडल के सांसद निधि और सांसदों के वेतन में कटौती के फैसले को प्रदेश के मंत्री और विधायकों पर लागू करने पर भी निर्णय हो सकता है।
प्रदेश में सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक की छूट अवधि घटेगी या नहीं, इस पर आज मंत्रिमंडल फैसला लेगा। अभी तक सरकार लॉकडाउन समाप्त होने के बाद की स्थितियों को लेकर कार्ययोजना बनाने में जुटी हैं, लेकिन अंतिम फैसला मंत्रिमंडल में लिया जाना है।
मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री ने गृह, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, खाद्य आपूर्ति सहित अन्य कुछ विभागों से लॉकडाउन के दौरान रही स्थितियों पर रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट को सभी मंत्रियों के साथ साझा किया जाएगा।
इसके बाद 15 अप्रैल से प्रदेश में लॉकडाउन को जारी रखना है या फिर समाप्त किया जाना है, इस पर फैसला होगा। पूरे हालात पर मंत्रिमंडल चर्चा करेगा, जिसमें शासन और जिलाधिकारियों से भी चर्चा हो सकती है। संभावना है कि बैठक लंबी चलेगी। इसके बाद लॉकडाउन के बाद के हालातों के लिए कार्ययोजना को मंजूरी दी जाएगी।
तब्लीगी जमातियों और उनके संपर्क में आए लोगों के संक्रमित होने से बढ़ रहे मामलों से सरकार पशोपेश में है कि 15 अप्रैल से जनता को क्या राहत दी जाए। अगर अगले कुछ दिनों में संक्रमण के मामले कम हुए तो सरकार चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोलने पर फैसला ले सकती है।
इसके तहत कुछ पर्वतीय जनपदों में राहत दी जा सकती है। वहीं अगर केस की संख्या बढ़ी तो सरकार लॉकडाउन जारी रखने का एलान भी कर सकती है।
शासन स्तर पर लॉकडाउन समाप्त होने के बाद के हालात को लेकर प्रस्ताव तैयार किया है। स्वास्थ्य विभाग सरकार को प्रस्ताव देगा कि लॉकडाउन में अगर राहत देनी है तो संवेदनशील क्षेत्रों देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की, कोटद्वार आदि में फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग के कड़े नियम लागू रहें।
इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में जरूरी कार्यालयों को खोलने के साथ कुछ अन्य गैर सरकारी संस्थानों को भी खोलने पर सरकार निर्णय ले सकती है। शासन किसी भी शैक्षणिक संस्थान को खोलने के पक्ष में नहीं है। उत्तराखंड बोर्ड को शेष बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति मिलने के आसार कम हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के सांसदों के वेतन में कटौती के साथ सांसद निधि को अगले दो साल तक कोरोना संक्रमण के लिए इस्तेमाल करने के निर्णय को राज्य सरकार विधायकों पर भी लागू कर
सकती है।
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को विधायक निधि को अगले दो साल के लिए बंद करने और मंत्री, विधायक और राजनीतिक पदों पर बैठे लोगों के वेतन में तीस प्रतिशत कटौती का फैसला लिया है।