उत्तराखंड सरकार का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसको लेकर सीएम रावत ने कहा, हमने प्रदेश की जनता से कुछ वायदे किए थे, जिनमें से 70 फीसदी वायदे तीन साल में पूरे कर लिए गए हैं। सभी वायदों को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम काम में विश्वास करते हैं। हमारी सरकार के ये तीन साल, विकास के तीन साल रहे हैं। हमारा ध्येय वाक्य रहा है, बातें कम-काम ज्यादा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य सरकार के तीन साल पूरे होने पर सहयोग के लिए प्रदेशवासियों का आभार व्यक्त किया। सीएम ने कहा कि सरकार के ये तीन साल विकास के तीन साल रहे हैं। वहीं, अपने संदेश में सीएम ने राज्य आंदोलनकारियों और मातृशक्ति को नमन किया। उन्होंने कहा, तीन साल पहले जब हमने सरकार संभाली, तो यहां के नीति निर्माण में उत्तराखंड राज्य की मूल भावना का अभाव था। हमने आते ही दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा। हाल ही में गैरसैंण में आयोजित विधानसभा सत्र राज्य के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का फैसला राज्य आंदोलनकारियों और माताओं-बहनों को समर्पित है। वही, उन्होंने अपील की कि कोरोना से घबराएं नहीं, बल्कि सतर्क रहें।
पीएम मोदी के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तराखंड सरकार के तीन साल में बहुत से ऐसे काम हुए हैं, जो पहले मुमकिन नहीं लग रहे थे। डबल इंजन का असर साफ-साफ देखा जा सकता है। केंद्र सरकार ने करीब एक लाख करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत की हैं। इनमें बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना ऑल वेदर रोड़, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियाजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, देहरादून स्मार्ट सिटी आदि प्रमुख हैं।
पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखंड में पहली बार किसी सरकार ने पलायन को रोकने पर ही नहीं बल्कि रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है। एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है। ग्रामीण विकास और पलायन आयोग का गठन किया गया। सीमांत तहसीलों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की है। राजकीय स्कूलों में वर्चुअल क्लासेज शुरू की गई हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में डाक्टरों की संख्या पहले से दोगुनी की गई। टेलीमेडिसीन और टेलीरेडियोलोजी भी फायदेमंद साबित हो रही हैं। ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य उपकेंद्रों का हैल्थ एंड वैलनैस सेंटर के रूप अग्रेडेशन कर रहे हैं।
सीएम ने कहा कि सभी 670 न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। इससे ग्रामीण आर्थिकी मजबूत होगी। किसानों और महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज रहित ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। होम स्टे की कन्सेप्ट को बहुप्रचारित किया जा रहा है। 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3900 जैविक क्लस्टरों में काम शुरू किया गया है। सौर ऊर्जा और पिरूल ऊर्जा नीति, ग्रामीण युवाओं की आजीविका में सहायक होगी।
सड़क, रेल और एयर कनेक्टीवीटी में विस्तार किया जा रहा है। आल वेदर रोड़, भारतमाला परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना गेम चेंजर बनने जा रही हैं। एयर कनेक्टीवीटी पर विशेष जोर दिया गया है। 2022 तक सभी गांवों को सड़क से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली पहुंचा दी गई है। प्रदेश के 15.09 लाख परिवारां को ‘हर घर को नल से जल’ दिलाने की योजना शुरू की है। तीन वर्षों में ये लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। जल संरक्षण और जल संवर्धन पर काफी काम शुरू किया गया है। ग्रेविटी वाली पेयजल योजनाओं पर हमारा फोकस है। हाल ही में उत्तराखंड वाटर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दी है।
सीएम ने कहा, पिछले तीन सालों में उत्तराखंड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखंड अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है। तीन सालों में मिले पुरस्कार इस बात की पुष्टि करते हैं। हमारी सरकार ने राज्य में निवेश लाने के लिए पूरा होमवर्क करते हुए गंभीरता से काम किया। राज्य गठन के बाद पहली बार बड़े स्तर पर इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया। यहां तक कि खुद पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया और स्पिरिचुअल इको जोन का कॉन्सेप्ट सामने रखा। पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए पर्यटन, आयुष और वेलनेस, आईटी, सौर ऊर्जा सहित सर्विस सेक्टर पर विशेष फोकस किया गया है।