आईएएस षणमुगम के गायब होने के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए जांच के आदेश

आईएएस षणमुगम के गायब होने के मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिए जांच के आदेश

महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने आईएएस अधिकारी वी षणमुगम के बगैर बताए गायब हो जाने की तहरीर देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दी थी। तहरीर में उन्होंने कहा था कि शासन में अपर सचिव व महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक षणमुगम गत 20 सितंबर से अपना फोन स्वीच ऑफ कर गायब हैं। उनके निजी सचिव ने षणमुगम के निजी सचिव से लगातार संपर्क किया, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चला।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आईएएस अधिकारी वी षणमुगम के मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को कहा है कि वे एक वरिष्ठ आईएएस अफसर से प्रकरण के सभी पहलुओं की जांच कराएं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जांच के आदेश देने की पुष्टि की है। उधर, मुख्य सचिव कार्यालय ने भी जांच को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है।

मंत्री ने तहरीर में षणमुगम के अपहरण की आशंका तक जता दी थी। साथ ही उन्होंने विभाग में मानव संसाधन की आपूर्ति के लिए निविदा प्रक्रिया में धांधली की बात कह यह भी आशंका जताई थी कि हो सकता है कि जिम्मेदारी से बचने के लिए षणमुगम खुद ही भूमिगत हो गए हों। मंत्री ने पुलिस से उनकी तलाश कर उन्हें तत्काल तलब करने को कहा था। मंत्री का यह पत्र सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ। इस बीच महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास की सचिव सौजन्या ने खुलासा किया था कि षणमुगम अपने घर में क्वारंटीन हैं, बताया कि षणमुगम उनसे अनुमति लेकर गए हैं।

विपक्ष को सवाल उठाने का मिला मौका

राज्यमंत्री और आईएएस अफसर के बीच तनातनी को लेकर कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों ने सरकार पर निशाना साधा। साथ ही टेंडर प्रक्रिया में कथित अनियमितता को लेकर भी प्रश्न खड़े किए। इस बहाने विपक्ष को सरकार पर कटाक्ष करने का अवसर मिल गया।

मुख्यमंत्री ने बेहद गंभीर माना मामला

मुख्यमंत्री ने इस मामले को बेहद गंभीर माना है। सूत्रों के मुताबिक बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री ने इस मामले में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक और मुख्य सचिव ओम प्रकाश से भी बात की। इसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कराने के आदेश दे दिए।

इन मामलों की हो सकती है जांच

– आईएएस अधिकारी वी. षणमुगम बगैर बताए गायब क्यों हुए?
– यदि उन्होंने होम क्वारंटीन होने की अनुमति ली थी, तो इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई?
– मंत्री के कार्यालय से उनके बारे लगातार पूछताछ हुई, तो उन्होंने संपर्क क्यों नहीं किया?
– मंत्री ने टेंडर प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाया है, इसकी भी जांच होगी।

मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। आउटसोर्स एजेंसी के चयन मामले में गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। जांच में जो कोई भी दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि मेरे स्तर से किसी तरह की कोई गलती हुई है तो मैं भी किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार हूं।

-रेखा आर्य, राज्यमंत्री महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने कहा कि आउटसोर्सिंग एजेंसी के चयन से जुड़े मामले की फाइल मुख्यमंत्री ने मंगाई है। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा है कि वह फाइल लेकर उनके पास आएं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से मुझे सिर्फ फाइल की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई गई है, वास्तविक फाइल अब तक नहीं मिली है। इसीलिए वह अब तक फाइल लेकर मुख्यमंत्री के पास नहीं जा पाईं हैं।

जिला पंचायत संगठन ने सीएम त्रिवेंद्र से की हस्तक्षेप की मांग

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य और आईएएस वी षणमुगम के विवाद में जिला पंचायत संगठन भी खुलकर सामने आ गया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट ने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए और आईएएस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। दोनों के विवाद में केंद्र सरकार की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन आदि को नुकसान हो रहा है। करीब 350 आउटसोर्स कर्मचारियों का भविष्य भी अधर में लटक गया है।

कहा कि टीडीएस एजेंसी ने पिछले आठ माह से कर्मियों का वेतन नहीं दिया है और न ही कर्मचारियों का पीएफ जमा किया।वहीं, वेतन से जीएसटी अलग से काटा गया। बाद में लखनऊ की ए स्क्वॉयर कंपनी को वर्क आर्डर जारी किया गया और इसमें भी सवाल उठ रहे हैं। अध्यक्ष ने इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हस्तक्षेप की मांग की है। भट्ट ने कहा कि विभाग में आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति का काम उपनल या फिर राज्य की ही किसी आउटसोर्स संस्था को दिया जाए। इसमें यह भी शर्त रखी जाए कि जिन लोगों को काम दिया गया है, उन्हें ही दोबारा काम दिया जाए।

सरकार को पुलिस तहरीर का तरीका नहीं सुहा रहा

महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य का अपने विभागीय निदेशक के खिलाफ पुलिस को दिया गया पत्र और उसकी भाषा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। प्रदेश सरकार और शासन पत्र को लेकर असहज है।

माना जा रहा है कि जांच केवल निदेशक के दायित्व व टेंडर प्रक्रिया में उनकी भूमिका की ही नहीं होगी, बल्कि जिस अंदाज में पुलिस को पत्र लिखा गया, उसकी भी पड़ताल होगी। सूत्रों के मुताबिक, सरकार को पत्र की भाषा कतई नहीं सुहा रही है। दरअसल, सरकार और नौकरशाही में अपर सचिव षणमुगम की व्यक्तिगत छवि एक ईमानदार अफसर की है। जब वह अपर सचिव (समाज कल्याण) थे, तब उन्हें छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर एक शिकायत पर जांच सौंपी गई थी।

षणमुगम की जांच रिपोर्ट में जो तथ्य उजागर हुए थे, उन पर आगे चलकर एसआईटी जांच की मुहर लगी और अब तक कई विभागीय अफसर, दलाल और शिक्षण संस्थानों के संचालक जेल की हवा खा चुके हैं। अब उन्हीं षणमुगम पर टेंडर प्रक्रिया में कथित धांधली के आरोप लगे हैं तो राज्यमंत्री के सामने टेंडर प्रक्रिया में षणमुगम की भूमिका को गलत साबित करने की चुनौती है। दूसरी बात आईएएस अफसर की गुमशुदगी को लेकर है, जिसका उल्लेख राज्यमंत्री ने पत्र में किया है।

हालांकि सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री, राज्यमंत्री के इस अधिकार का समर्थन करते हैं कि निदेशक या सचिव फाइल पर जो भी लिखें, उसे देखने का अधिकार मंत्री को है। इसलिए फाइल मंत्री के पास अवश्य आनी चाहिए। लेकिन वरिष्ठ मंत्री भी पुलिस को शिकायत करने के तरीके से सहमत नहीं हैं। वह कहते हैं कि ऐसा करने से विरोधियों को मंत्री, सरकार और सिस्टम पर सवाल उठाने का मौका मिलता है। बहरहाल, मुख्यमंत्री के जांच के आदेश के बाद इस पूरे मामले ने नया मोड ले लिया है। शुक्रवार तक मुख्य सचिव जांच अधिकारी तय कर देंगे।

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