मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना शुरू
सीएम ने कहा कि इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित की जाएंगी। प्रदेश के युवाओं और वापस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी मिलेंगे। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, अपर सचिव नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए भू परिवर्तन सात दिन में हो जा जाना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विकासकर्ताओं को ऋण देने के लिए बैंकों से समन्वय बनाएं। यह निर्देश मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना लांचिंग के दौरान दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों की योजना की सफलता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार संपर्क और समन्वय बनाए रखें। डीएलसीसी की बैठकों में स्वरोजगार योजनाओं की समीक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता से हो।
स्वरोजगार और हरित ऊर्जा का उत्पादन मुख्य उद्देश्य
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि योजना के तहत प्रदेश में हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
ऊपर प्लांट, नीचे खेती
सोलर संयंत्र के साथ-साथ खेती व बागवानी का कार्य भी किया जा सकता है। इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उस भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ी-बूटी आदि का उत्पादन भी होगा। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कंध पादपों के बीज मुफ्त उपलब्ध कराए जाएंगे। एमएसएमई के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेडा करेगी।
प्लांट के लिए चाहिए डेढ़ से दो नाली जमीन
सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए लगभग डेढ़ से दो नाली भूमि की आवश्यकता होगी। 40 हजार रुपये प्रति किलोवाट की दर से कुल लागत करीब 10 लाख रुपये संभावित है। औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है।
आठ प्रतिशत ब्याज पर 15 साल के लिए ऋण
सहकारी बैंक इस योजना के लिए आठ प्रतिशत ब्याज दर पर 15 वर्षों के लिए ऋण देंगे। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भू-परिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टांप ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट होगी। तकनीकी समिति उपयुक्त पाए गए आवेदनों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है।
पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है। परियोजना आवंटन पत्र मिलने के बाद लाभार्थी यूपीसीएल के साथ विद्युत क्रय अनुबंध करेगा। लाभार्थी परियोजना आवंटन पत्र, यूपीसीएल के साथ अनुबंध की प्रति, और अन्य आवश्यक अभिलेख जमा कराने के सात दिन के भीतर महाप्रबंधक, जिला उद्योग संबंधित बैंक शाखा को अग्रसारित कर देंगे। इसके 15 दिनों के भीतर बैंक शाखा से स्वीकृति या अस्वीकृति सूचना लाभार्थी को बता दी जाएगी।