सरकार ने विधानसभा में गत वर्ष चारधाम देवस्थानम विधेयक पारित कराया था। राजभवन की मंजूरी के बाद यह अधिनियम बन चुका है और अब अधिनियम के तहत चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन की कसरत शुरू की गई। राज्यपाल से इसकी स्वीकृति मिलने के बाद सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर की ओर से बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
चारधाम और उनके आसपास के 51 मंदिरों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास, समुचित यात्रा संचालन एवं प्रबंधन के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को राजभवन की मंजूरी मिलने के बाद अब चारधाम देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आ गया है। अधिनियम के तहत इस बोर्ड के गठन को राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। बोर्ड के सीईओ पद पर मंडलायुक्त रविनाथ रमन को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। अब सदस्यों के संबंध में अधिसूचना जारी की गई है।
अधिसूचना के मुताबिक बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी पदेन सदस्य होंगे। इसके अलावा टिहरी रियासत के राजपरिवार के एक सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाले व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे।
व्यवस्था में सुधार के लिए है बोर्ड
सीएम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चारधाम देवस्थानम अधिनियम चारधाम और उनके आसपास के मंदिरों की व्यवस्था में सुधार के लिए है। मकसद ये है कि यहां आने वाले यात्रियों का ठीक से स्वागत हो और उन्हें बेहतर सुविधाएं मिलें। साथ ही बोर्ड भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करे।
सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने यह बातें कहीं। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि देवस्थानम एक्ट को लेकर कोर्ट ने कोई स्टे नहीं दिया है। उधर, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि उच्च न्यायालय ने देवस्थानम अधिनियम के संबंध में तीन हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। तय अवधि में इस संबंध में कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा।