CAA को लागू कर भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले अपने तरकश में एक और तीर सजा लिया

नई दिल्ली। देश में नागरिकता संशोधन कानून-2019 (CAA) को लागू कर भाजपा ने लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले अपने तरकश में एक और तीर सजा लिया है। दरअसल, बीते सोमवार को केंद्र सरकार की ओर से सीएए की अधिसूचना जारी कर दी गई।

अमित शाह ने किया पोस्ट

सीएए लागू होने के तुरंत बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया। ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।”

माना जा रहा है कि इस घोषणा के बाद आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल में फायदा मिलेगा। दरअसल, इन तीनों राज्यों में पड़ोसी देश से आकर बहुत से अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिल जाएगी। सरकार ने साल 2019 में आर्थिक और सामाजिक विकास के हाशिये पर मौजूद समुदाय को शांत करने के लिए सीएए के कार्यान्वयन का वादा किया था।

एक-एक कर पूरे हो रहे चुनावी वादे

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने कई बड़े चुनावी वादे किए थे, उन सभी को केंद्र ने धीरे-धीरे पूरा किया है। हिंदुओं, जैन, पारसियों, बौद्धों, ईसाइयों और पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में प्रताड़ित सिखों को भारत में जगह और नागरिक बनने का अधिकार देने का भी वादा करने के साथ ही भाजपा ने राम मंदिर के निर्माण और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने की प्रतिबद्धता भी जताई थी। इसके अलावा, समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की भी बात कही गई थी।

पार्टी ने चार वादे पूरे कर लिए हैं, हालांकि समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा अभी केवल भाजपा शासित राज्यों तक ही सीमित है। वहीं, अनुच्छेद 370 को हटाने का विधेयक अगस्त, 2019 में संसद में पारित किया गया था, जबकि राम मंदिर का 25 जनवरी पूरे धूमधाम से प्राण प्रतिष्ठा किया गया था।

पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पूर्वोत्तर राज्यों में उन स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान भी करेगी, जिनके मन में इस कानून को लेकर आशंकाएं थीं। दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किए जाने के बाद कानून के प्रावधानों के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था। घोषणा पत्र में कहा गया था, “हम पूर्वोत्तर के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।”

अनुच्छेद 370 को हटाया

अपने दूसरे कार्यकाल में भाजपा ने चुनावी वादों को पूरा करने की कड़ी अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के साथ शुरू की थी। विपक्ष की आपत्तियों और अल्पसंख्यकों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी आर्टिकल 370 को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में अधिक मत से पारित कर दिया गया। हालांकि, आज भी कांग्रेस समेत कुछ दलों के लिए यह गैर-कानूनी है, इसलिए वे अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कहते हैं। जम्मू कश्मीर की दो पार्टियों- पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता विपक्षी बैठकों में इसी वजह से आज भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं।

तीन तलाक को किया खत्म

भाजपा ने तीन तलाक के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाने का भी वादा किया था। दरअसल, मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर भाजपा ने तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया। साल 2019 में केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून बना कर अपना यह वादा भी पूरा कर दिया। इतना ही नहीं, ऐसे मामले सामने आने के बाद आरोपी के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है। तीन तलाक देने वाले पति को अधिकतम तीन साल तक की सजा और जुर्माने का कानून में प्रावधान है।

हालांकि, अब भी तीन तलाक के मामले रुके नहीं हैं, लगातार कुछ मामले सामने आते रहते हैं। इस बात पर भी गौर किया जा सकता है कि इस तरह के मामलों की संख्या में कमी आई है। मुस्लिम महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए भाजपा का यह फैसला एक ऐतिहासिक कदम माना गया था।

पूरे उत्साह के साथ हुई राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा

एक लंबे संघर्ष और विरोध के बाद अयोध्या राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आना एक बहुत बड़ा मौका रहा। भाजपा ने वादा किया था कि वो सत्ता में आते ही राम मंदिर का निर्माण कराएगी।

अदालत का फैसला आने तक राम मंदिर पर किसी प्रकार के काम को रोका गया था, लेकिन फैसला आने के तुरंत बाद जोरशोर से मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ। इसके बाद 25 जनवरी, 2024 को भाजपा ने अपना वादा पूरा करते हुए मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की।

समान नागरिक संहिता हुआ लागू

भाजपा के चुनावी वादों में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की बात भी कही गयी। हालांकि, यह कानून पूरे देश में लागू न होकर केवल कुछ भाजपा शासित राज्यों तक ही सीमित है। बीजेपी का मानना था कि अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग कानून की जरूरत नहीं है।

उत्तराखंड ने सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू कर के इतिहास बना लिया है। इससे अलग-अलग धर्मों में विवाह को लेकर अलग-अलग कानून नहीं होंगे। सभी के लिए समान कानून होगा, जो किसी भी जोड़े को पहले से अधिक अधिकारी देगा।

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