भाजपा कोर कमेटी ने समन्वय समिति बनाई, कार्यकर्ताओं की होगी सुनवाई
रविवार को प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में कार्यकर्ताओं का मसला प्रमुखता उठा। कोर कमेटी के सदस्यों का कहना था कि अपनी ही सरकार में जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं की कायदे से सुनवाई नहीं हो रही है।
उत्तराखंड भाजपा अपने जमीनी कार्यकर्ता की हर शिकायत का निवारण करेगी। इसके लिए सभी 14 सांगठनिक जिलों में समन्वय समितियों का गठन होगा। इन समितियों की कमान जिलाध्यक्ष के हाथों में होगी। पांच सदस्यीय समिति में जिले के प्रमुख वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को जगह मिलेगी, जिस विधानसभा क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ता की शिकायत होगी, उस क्षेत्र का विधायक समिति का पदेन सदस्य होगा।
प्रशासन और पुलिस से जुड़े मामलों में कार्यकर्ताओं की शिकायतें हैं। कुछ मामलों में कार्यकर्ताओं पर मुकदमे तक हुए हैं। कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा करने और उनकी समस्याओं और शिकायतों के संतोषजनक निवारण के लिए समिति बनाने का निर्णय लिया गया।
ऐसे काम करेगी समन्वय समिति
जल्द ही सभी सांगठनिक जिलों में समन्वय समितियों का गठन कर दिया जाएगा। समितियां क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की शिकायतों को सुनेगी। इस संबंध में समिति संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों का पक्ष जानेगी। समन्वय के साथ शिकायतों का समाधान निकालने के प्रयास होंगे। समिति शिकायतों का पूरा ब्योरा प्रदेश अध्यक्ष को सौंपेगी। प्रदेश अध्यक्ष शिकायत से जुड़े वभाग के मंत्री या मुख्यमंत्री से इस बारे में बात करेंगे।
विधायकों की भी रही है शिकायत
भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता ही नहीं पार्टी के कई विधायक सरकारी अधिकारियों पर उनकी बात न सुनने की शिकायत करते रहे हैं। ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी से शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय व किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला की नाराजगी जगजाहिर है। उनकी नाराजगी के बाद जिलाधिकारी को बदलना पड़ा था। हरिद्वार जिले में भी पिछले तीन साल के दौरान विधायकों और अधिकारियों की नाराजगी के कई मामले सामने आ चुके हैं। भाजपा विधायक बिशन सिंह चुफाल तो मुख्यमंत्री को पत्र तक लिख चुके हैं कि अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे।
मुख्यमंत्री भी अफसरों को दे चुके हैं हिदायत
विधायकों की शिकायत पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अफसरों को हिदायत दे चुके हैं। उनके आदेश पर मुख्य सचिव को सभी अधिकारियों के लिए विधायकों से अदब से पेश आने के दिशा-निर्देश जारी करने पड़े थे। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की बैठक में सचिवों के न आने के मामले में मुख्यमंत्री ने सख्त रुख दिखाया था।