देहरादून: Uttarakhand Lok Sabha Election Result 2024: उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटों पर जीत का सेहरा किसके सिर बंधा, इसे लेकर कुछ घंटों में तस्वीर साफ हो जाएगी, लेकिन चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा।
उत्तराखंड में भाजपा वर्ष 2014 से अजेय बनी हुई है तो इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुख्य भूमिका है। इसकी नींव तब पड़ गई थी, जब केदारनाथ में हुई जलप्रलय के बाद मोदी यहां आए थे। तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने अपने आराध्य बाबा केदारनाथ की केदारपुरी को नए कलेवर में निखारने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए।
आज केदारपुरी एकदम निखर चुकी है। यही नहीं, प्रधानमंत्री को जब भी अवसर मिलता है वह उत्तराखंड आते हैं। साथ ही कई मौकों पर इस मध्य हिमालयी राज्य से अपने लगाव को प्रदर्शित करते आए हैं। यही नहीं, उत्तराखंड के विकास के प्रति भी वह संजीदा हैं। राज्य में चल रही लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपये की लागत की केंद्रीय योजनाएं इसका उदाहरण हैं। साथ ही वह राज्य में तीर्थाटन व पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग करने में पीछे नहीं हैं।
इस सबका लाभ भाजपा को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिलता आया है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2014 और फिर वर्ष 2019 में राज्य में लोकसभा की पांचों सीटों पर भाजपा का परचम लहराया। यही नहीं, वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में तो भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला तो वर्ष 2022 में वह लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। इन चुनावों की भांति इस बार का लोकसभा चुनाव भी पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी के आसपास ही केंद्रित रहा।
विजय संकल्प रैली से की थी अभियान की शुरुआत
भाजपा के चुनाव अभियान को देखें तो इसकी शुरुआत भी प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में विजय संकल्प रैली से की थी। इसके बाद पार्टी ने पूरे अभियान में प्रधानमंत्री मोदी के राज्य के प्रति विशेष अनुराग और डबल इंजन के दम को पूरी तरह से केंद्र में रखकर जनता को रिझाने का प्रयास किया।
पार्टी ने चारधाम आल वेदर रोड, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे, ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट, केंद्रीय सड़क निधि और पीएमजीएसवाई से तमाम सड़कों का निर्माण, केदारनाथ व बदरीनाथ पुनर्निर्माण, पर्वतमाला प्रोजेक्ट समेत अन्य योजनाओं को जनता के सामने रखा। यही नहीं, विपक्ष के नजरिये से भी नजर दौड़ाएं तो उसके निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी ही मुख्य रूप से रहे। यद्यपि, उसने कुछ स्थानीय मुद्दों को छुआ, लेकिन वार-पलटवार के केंद्र में प्रधानमंत्री ही रहे।